Bihar Lok Sabha Elections: बिहार में तीन चरणों का लोकसभा चुनाव समाप्त हो चुका है. अभी चार और चरण में चुनाव होना बाकी है. कई ऐसी सीटें हैं जिस पर सबकी नजरें टिकी हैं कि वहां का परिणाम क्या आने वाला है. चर्चित सीटों में शिवहर भी शामिल है. तीन मई को बीजेपी विधायक राणा रणधीर के भाई राणा रंजीत सिंह टोपी और तिलक लगाकर ऐसे नामांकन करने पहुंचे कि उनकी भी चर्चा हो रही है. एआईएमआईएम (AIMIM) से उन्हें टिकट मिला है.


शिवहर लोकसभा सीट पर महागठबंधन और एनडीए ने महिलाओं पर अपना भरोसा जताया है. आरजेडी की प्रत्याशी रितु जायसवाल हैं तो वहीं जेडीयू से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद मैदान में हैं. ऐसे में अब इन दोनों महिला प्रत्याशियों को टक्कर देने के लिए एआईएमआईएम से राणा रंजीत सिंह भी उतर गए हैं.


रंजीत सिंह के परिवार का क्या है राजनीतिक इतिहास?


राणा रंजीत सिंह के भाई राणा रणधीर सिंह शिवहर लोकसभा क्षेत्र के मधुबन विधानसभा से आरजेडी के टिकट पर जीत कर फरवरी 2005 में पहली बार विधायक बने थे. हालांकि अक्टूबर 2005 में जेडीयू से शिवजी राय से वह चुनाव हार गए. 2015 और 2020 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और राणा रणधीर सिंह जीते. राणा रणधीर बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.


लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं पिता सीताराम सिंह


इतना ही नहीं बल्कि राणा रंजीत सिंह के पिता सीताराम सिंह भी मधुबन विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. 1985, 1990 और 1995 में जनता पार्टी से विधायक बने थे. इससे पहले सीताराम सिंह 2000 में आरजेडी से विधायक बने थे. मधुबन विधानसभा से 1985 से लगातार चार बार विधायक बने थे. बिहार सरकार में 1990 से 1995 तक परिवहन मंत्री के रूप रहे. 1995 से 2004 तक खनन एवं भूतत्व मंत्री के साथ पशुपालन विभाग मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी मिला था. 2004 में शिवहर लोकसभा से चुनाव लड़ सांसद बने थे.


हालांकि राणा रंजीत सिंह की पूर्व से ही राजनीति में सक्रिय भूमिका देखी जा रही है. जन सुराज अभियान के जिला संयोजक के रूप में उन्होंने प्रशांत किशोर के साथ मिलकर पहचान बनाई. शिवहर लोकसभा क्षेत्र में अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि कौन किसका खेल बिगाड़ता है.


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