पटना: बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता मंगल पांडेय ने गुरुवार को किसान आंदोलन को लेकर जारी विवाद के ये दावा किया है कि बिहार के किसान खुश और संतुष्ट हैं. वहीं, उनका दिल्ली आंदोलन से कोई वास्ता नहीं है. उन्होंने महागठबंधन द्वारा 30 जनवरी को आयोजित मानव श्रृंखला पर निशाना साधते हुए कहा कि यह एक फ्लाॅफ राजनीतिक ड्रामा के सिवाय कुछ भी नहीं है.

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राजनीति चमकाने के लिए किसान आंदोलन को दे रहे हवा

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन की आग में विपक्ष सियासी रोटी सेंकने का असफल प्रयास कर रहा है. किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले ऐसे नेता अपने राज्य में दाल गलता नहीं देख राजनीति चमकाने के लिए दिल्ली में किसान आंदोलन को न सिर्फ हवा दे रहे हैं, बल्कि मानव श्रृंखला का ढोंग रचकर किसानों और देश को फिर गुमराह करने की साजिश रच रहे हैं. न सिर्फ कांग्रेस बल्कि तमाम विपक्षी पार्टियां किसान आंदोलन को लंबा खिंचवाने में एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं.

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बिहार के किसान एनडीए की नीतियों से खुश

मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार के किसान एनडीए सरकार की नीतियों से खुश और संतुष्ट हैं. एनडीए सरकार द्वारा राज्य में किसानों के लिए चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं से सूबे के किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है. महागठबंधन का मानव श्रृंखला किसानों के हित के लिए नहीं है, बल्कि हाशिये पर जा पहुंचे कुछ नेताओं के स्वहित के लिए है.

जनता को बरगलाने का किया है काम

उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों को दिल्ली आंदोलन से कोई वास्ता नहीं है. सूबे के किसानों ने पहले ही विपक्ष को ठेंगा दिखा दिया है. यह कोई पहला मौका नहीं है. इसके पहले भी कांग्रेस के सहयोग से राजद ने राज्य की जनता को कई मुद्दे पर बरगलाने का काम किया है, लेकिन जनता ने विपक्ष के हर तरकीब को सिरे से नकार कर उन्हें आईना दिखाने का काम किया है.

मंगल पांडेय ने कहा कि आज जिस वाम दलों को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मानव श्रृंखला बनाने की बात कर रहे हैं, उसी वाम दलों ने उनके माता-पिता के शासनकाल में किसानों की खेती चैपट की और खेतों पर जबरन लाल झंडा गाड़ किसानों को उनके खेतों से बेदखल करने का काम किया है.

जनता तथाकथित नेताओं को देगी माकूल जवाब

उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को किसान आंदोलन के नाम पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की शह पर किसान नेताओं ने दिल्ली में जिस तरह हिंसा और अव्यवस्था फैलायी, वह बहुत दुखद और निंदनीय है. किसान के वेश में देशद्रोही नेताओं द्वारा लाल किले पर कब्जा करने की असफल कोशिश लोकतंत्र के इतिहास में स्याह दिन के रूप में लिखा जायेगा. समय आने पर देश की जनता इन तथाकथित किसान नेताओं को माकूल जवाब देगी.