पटना: बिहार विधानसभा परिसर में मंगलवार (20 फरवरी) को सत्र से पहले वाम दल के विधायकों ने बैनर-पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) के फैसलों का विरोध किया. वाम दल के विधायक मांग कर रहे हैं कि नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त और बिना परीक्षा के राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए.


'नियोजित शिक्षकों पर हुआ मुकदमा वापस ले सरकार'


इतना ही नहीं बल्कि प्रदर्शन के दौरान यह भी मांग की गई कि सरकारी स्कूलों की टाइमिंग जो अभी 9 से 5 बजे तक है उसे 10 से चार किया जाए. सरकारी स्कूलों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों को अपने सुविधानुसार हस्तांतरण का अधिकार मिले. यह भी कहा कि नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए सक्षमता परीक्षा नहीं देना चाहते इसलिए उन्होंने पटना में धरना-प्रदर्शन किया था. उस दौरान कई नियोजित शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज हुआ था उसको सरकार वापस ले.


पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भी किया प्रदर्शन


उधर विधानसभा परिसर में पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भी प्रदर्शन किया. जब उनसे सवाल किया गया कि जब आप शिक्षा मंत्री थे तभी इस तरह का बयान केके पाठक की तरफ से आता था तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हम 2:00 बजे के बाद अपना बयान देंगे.


माले विधायक संदीप सौरव क्या बोले?


उधर विधानसभा में प्रदर्शन के दौरान माले विधायक संदीप सौरव ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के लिए जो राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की बात है वह सरकार अच्छी तरह से जानती और समझती है. उनकी शर्तों पर भी बात हुई थी कि बिना परीक्षा के ही उनको सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन अब सरकार परीक्षा ले रही है तो उसमें भी कई प्रावधानों को अलग से लागू किया गया है जो कतई मंजूर नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि तीन जिलों वाला जो फॉर्मूला है उसे भी वापस लिया जाए. 


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