बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मंगलवार (30 सितंबर, 2025) को अंतिम (फाइनल) मतदाता सूची को जारी कर दिया गया. इस पर कांग्रेस की बिहार इकाई के अध्यक्ष राजेश राम ने प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि हाल ही में संपन्न विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की पूरी प्रक्रिया छलावा साबित हुई है. इसे शुरू से ही अपारदर्शी तरीके से अंजाम दिया गया.

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राजेश राम ने बयान जारी कर कहा, "यह वह प्रक्रिया थी जिसकी न तो जनता और न ही राजनीतिक दलों ने कोई मांग की थी. इसके बावजूद इसे इतनी लापरवाही और अपारदर्शिता के साथ किया गया कि कई बार उच्चतम न्यायालय को दखल देना पड़ा, ताकि कम-से-कम न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का पालन हो सके."

'सवालों के घेरे में निष्पक्षता और पारदर्शिता'

उन्होंने कहा कि अब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ज्ञानेश गुप्ता इस प्रक्रिया को सफल बता रहे हैं जबकि वास्तव में इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता गंभीर सवालों के घेरे में है. कांग्रेस नेता ने कहा, "हमारे कार्यकर्ता पूरे राज्य में इसका गहन मूल्यांकन करेंगे कि एसआईआर के जरिए कितने नाम मतदाता सूची से हटाए गए और कितने नाम जोड़े गए. यह मुद्दा यहीं समाप्त नहीं होगा."

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राजेश राम ने दावा किया कि एसआईआर के दौरान लगभग 65 लाख नाम ड्राफ्ट सूची से हटाए गए जबकि केवल करीब 21.53 लाख नए नाम जोड़े गए. उन्होंने कहा कि हटाए गए नामों की संख्या अत्यधिक है और यह गंभीर चिंतन का विषय है. कई पात्र मतदाताओं के नाम सूची से इरादतन काटे गए हैं.

लड़ाई अंतिम दम तक लड़ेंगे: राजेश राम

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मतदाता सूची की प्रक्रिया की पारदर्शिता, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक भावना की सफलता का परीक्षण केवल कागजों पर नहीं बल्कि जमीनी सच्चाई और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में किया जाएगा. उन्होंने कार्यकर्ताओं, नागरिकों और सभी राजनीतिक दलों से इस तथाकथित सफल प्रक्रिया का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करने की अपील की ताकि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से वंचित न रह जाए. राजेश राम ने कहा, "हम मतदाताओं के अधिकारों की लड़ाई अंतिम दम तक लड़ेंगे."