बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संबंध में मतदाताओं से सीधे प्राप्त 10,570 में से 127 दावों और आपत्तियों का अधिकारियों की ओर से अब तक निपटारा कर दिया गया है. यह जानकारी चुनाव आयोग ने सोमवार (11 अगस्त, 2025) को दी. चुनाव आयोग ने आगे कहा कि मतदाता सूची के प्रकाशन के 11 दिन बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है.
चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार में 1 अगस्त से अब तक 54,432 नए मतदाताओं ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन दाखिल किए हैं. ये एसआईआर प्रक्रिया के बाद 18 वर्ष के हो गए हैं.
बता दें कि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दल कथित अनियमितताओं को लेकर हमला बोल रहा है. विपक्ष का कहना है कि इससे लाखों मतदाताओं के मताधिकार छिनने का खतरा है. हालांकि चुनाव आयोग ने इस आरोप का खंडन कर दिया. चुनाव आयोग ने एक अगस्त को अपनी मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की और लोगों, दलों और उनके बूथ-स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के लिए मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या बाहर करने के संबंध में अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक महीने का समय रखा है.
24 जून से 25 जुलाई तक चला था एसआईआर अभियान
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, "एक अगस्त को प्रकाशित बिहार की मतदाता सूची के मसौदे में किसी भी त्रुटि को सुधारने के लिए अपने दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करें. अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है." गौरतलब हो कि चुनाव आयोग ने 24 जून से लेकर 25 जुलाई तक एसआईआर अभियान चलाया था. इस प्रक्रिया के दौरान कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किए.
अंत में एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची से लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इनमें 22 लाख मृतक मतदाता (2.83 प्रतिशत), 36 लाख (4.59 प्रतिशत) जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए थे या नहीं मिले, और सात लाख (0.89 प्रतिशत), जिन्होंने एक से अधिक स्थानों पर नामांकन कराया था, शामिल थे.