पटना: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों के पाठ्यक्रम में रामचरितमानस की पढ़ाई को जोड़ने के बाद देश में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. बिहार में भी कुछ बीजेपी (BJP) नेताओं ने पाठ्यक्रम में रामायण के अध्याय जोड़ने की मांग की है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि सूबे में भी मध्य प्रदेश की ही तरह छात्र स्कूल में रामायण का पाठ पढ़ें. श्री राम के चरित्र को आत्मसात करें. बीजेपी नेताओं द्वारा की जा रही इस मांग पर सूबे के शिक्षा मंत्री और जेडीयू (JDU) नेता विजय चौधरी (Vijay Chaudhary) ने मंगलवार को प्रतिक्रिया दी. 


ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं


एक कार्यक्रम के दौरान पत्राकारों से बातचीत के दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि फिलहाल बिहार सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. वो कह रहे तो जानना चाहिए. किसी को किसी ने मना तो किया नहीं है. रामायण और गीता पढ़ने पर रोक है क्या? बिहार सरकार का मानना है कि कोई धर्म शास्त्र हो उसमें अच्छी ज्ञान की ही बात होती है. किसी भी धर्म के शास्त्र को पढ़ने के बाद अच्छी ही सीख मिलेगी. चाहे गीता-रामायण दूसरे धर्म वाले लोग पढ़ें, या दूसरे धर्म के लोगों की धार्मिक ग्रंथ हम लोग पढ़ें. उससे ज्ञान ही प्राप्त होगा. धार्मिक ग्रंथों में गलत बात तो होती ही नहीं है. इसलिए पढ़ना-पढ़ाना गलत नहीं है. लेकिन अभी कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं है. 


मालूम हो कि मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने फैसला किया है कि स्कूलों में छात्र अब रामायण का पाठ भी पढ़ेंगें. सरकार ने हाल ही में जो पाठ्यक्रम जारी किया है, उसके मुताबिक रामचरितमानस का व्यावहारिक ज्ञान के नाम से एक पूरा पेपर होगा, जिसमें छात्रों को रामचरितमानस से जुड़े आदर्शों का अध्ययन कराया जाएगा. मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद बिहार में भी बीजेपी के नेताओं ने भी इशारों-इशारों में ये मांग शुरू कर दी है. 


पाठ्यक्रम में शामिल करने में कोई बुराई नहीं


बिहार के श्रम मंत्री जिवेश मिश्रा (Jeevesh Mishra) ने कहा था कि श्री राम का चरित्र लोगों तक पहुंचे और हमारी युवा पीढ़ी इसे भी जाने इसके लिए अगर रामचरितमानस और रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, तो क्या हर्ज है. हम भी बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी से मांग करते हैं कि वे इस ओर पहल करें. इधर, बिहार बीजेपी के एमएलसी नवल किशोर यादव (Nawal Kishore Yadav) ने भी कुछ ऐसी ही मांग की थी. उन्होंने पाठ्यक्रम में रामचरितमानस को शामिल करने के सवाल पर कहा था कि बिल्कुल शामिल होना चाहिए. क्यों नहीं शामिल हो रामचरितमानस और रामायण पाठ्यक्रम में, ये हमारी संस्कृति है.


पीएम मोदी को लिखेंगे पत्र


वहीं, मंत्री नीरज कुमार बबलू (Neeraj kumar bablu) ने कहा था कि निश्चित तौर पर ऐसा होना चाहिए. मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं. धार्मिक ग्रंथ पर आधारित हमारा पूरा देश है. रामायण का पाठ हमने बचपन से ही किया है. अगर इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा तो इसे पढ़ने में कोई विशेष मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. इस बाबत हम प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे और ये मांग करेंगे कि केवल एक राज्य में नहीं, बल्कि पूरे देश में ये लागू होना चाहिए.



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