मुंगेर: देश भर में कल होली का पर्व मनाया जाएगा. खास कर हिन्दू धर्म के लोगों के लिए होली का पर्व काफी महत्वपूर्ण है. लोग अपने परिजनों के साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं. लेकिन बिहार के मुंगेर जिले में एक गांव ऐसा है, जहां 200 सालों से लोगों ने होली नहीं मनाई है. इस गांव के लोग एक-दूसरे रंग-गुलाल नहीं लगते हैं. अगर किसी ने चोरी-छिपे या भूलवश होली मना भी ली तो उसे बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.


जानें क्या है वजह ?


बता दें कि मुंगेर जिले से लगभग 50 से 55 किलोमीटर दूर असरगंज प्रखंड के साजुवा पंचायत में सती गांव है, जहां लोग होली का पर्व नहीं मनाते हैं. बुजुर्गों की मानें तो 1500 से अधिक आबादी वाले इस गांव में ही 200 साल पहले सती अपने पति के साथ होली के दिन चिता पर जली थी. उनकी मानें तो गांव में एक पति-पत्नी रहते थे.


होली के दिन पति की मृत्यु हो गयी थी, जिसके बाद गांव के लोग शव को दाह संस्कार के लिए लेकर गए. लेकिन शव अर्थी पर से बार-बार गिर जा रहा था. इधर, मृतक की पत्नी को लोगों ने घर में बंद कर रखा था. लेकिन गांव वालो ने जब घर का दरवाजा खोला तो पत्नी दौड़कर अपने पति के अर्थी के पास पहुंची और कहा कि उसे भी अपने पति के साथ सती होना है.


जमीन के अंदर से निकली पति-पत्नी की मूर्ति


महिला की बात यह बात सुनकर गांव के लोगों ने उसकी चिता तैयार की. इसी बीच अचानक महिला के हाथ की छोटी उंगली से आग निकली और उस आग से पति-पत्नी का चिता जल उठी. कुछ दिनों के बाद आप रूपी उसी जगह से जमीन के अंदर से पति-पत्नी की मूर्ति निकली. मूर्ति देखकर लोग अचंभित रह गए, जिसके बाद ग्रामीणों ने उस जगह मंदिर का निर्माण कर दिया.


ग्रामीणों की मानें तो तब से अगर ग्रामीण छुप कर अपने घर में होली के दिन पकवान बनाते हैं या रंग खेलते हैं, तो उन्हें या उनके परिजनों को कोई न कोई संकट का सामना करना पड़ता है या फिर उस घर में किसी कारणवश आग लग जाती है. यह सब देख कर ग्रामीणों ने होली का त्योहार मानना बंद कर दिया है और गांव का नाम भी सती रख दिया है.


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