Bihar Zamin Dakhil Kharij: बिहार में जमीन खरीद-बिक्री के मामले में लोगों को राहत मिली है. जमीन की खरीद-बिक्री में जमाबंदी की अनिवार्यता पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट को ओर से रोक लगा दी गई है. इससे एक तरफ आम लोग खुश हैं तो दूसरी ओर कातिब संघ भी खुश है. यानी अब पुराने नियम के तहत बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री हो सकेगी. वंशावली के आधार पर बाप-दादा के नाम वाली जमीन बेची जा सकती है.


नए नियम से जमीन खरीद-बिक्री में आ गई थी 80 फीसद की कमी


इस मामले में बुधवार (15 मई) को एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए बिहार कातिब संघ के पूर्व सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ये पहल हम लोग के लिए बड़ी राहत है. सरकार को भी इससे राहत मिलेगी. हाई कोर्ट के फैसले के बाद नए नियम के तहत जमीन की खरीद-बिक्री में लगभग 80 फीसद की कमी आ गई थी. साथ ही हम लोग भी भुखमरी के कगार पर आ गए थे. सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ेगा.


बता दें कि हाई कोर्ट में जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर हेराफेरी का मामला सामने आया था. इस पर हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि कोई भी जमीन की खरीद बिक्री या दान करने वाले व्यक्ति के नाम पर जमाबंदी होना जरूरी है. अगर उसके नाम पर जमाबंदी नहीं होगी तो वह जमीन की बिक्री या दान नहीं कर सकता है. इसके बाद बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री में काफी कमी आई थी.


सितंबर 2024 में की जाएगी सुनवाई


इस फैसले के बाद कातिब संघ ने सरकार से मुलाकात की थी लेकिन मामला हाई कोर्ट का था. इस पर इसके खिलाफ याचिकाकर्ता शमीउल्लाह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ में राहत भरा निर्देश दिया है. हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट की ओर से नए नियम पर रोक लगाई गई है. पूरी सुनवाई सितंबर 2024 में की जाएगी.


याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और अधिवक्ता अंजुल द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया था कि बिहार सरकार ने 10 अक्टूबर 2019 को बिहार निबंधन नियमावली के नियम 19 में संशोधन कर नया नियम जोड़ दिया था. इसके तहत जमीन की खरीद बिक्री और दान तभी हो सकेगा जब जमीन बेचने वाले या दान देने वाले के नाम से जमाबंदी या होल्डिंग कायम हो.


कातिब सुधीर कुमार ने बताया कि हाई कोर्ट का फैसला भी कुछ हद तक ठीक था. अगर बिहार के सभी अंचलाधिकारी का काम सही तरीके से हो तो कोई समस्या नहीं हो सकती है. 21 दिनों में दाखिल-खारिज हो जाते हैं लेकिन बिहार के लगभग सभी अंचलाधिकारी दाखिल-खारिज के नाम पर मोटी रकम लेते हैं और पैसा नहीं देने पर काफी दिन तक उसे लंबित रखते हैं. हालांकि अब पहले जिस तरह से जमीन की खरीद-बिक्री में धोखाधड़ी हो रही थी उसकी आशंका फिर से बनी है.


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