पटना: बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच पटना के कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार करते हुए हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है. मौजूदा स्थिति में डॉक्टरों के इस फैसले से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. मामले की जानकारी मिलते ही अधीक्षक विनोद कुमार सिंह आननफानन कल शाम एनएमसीएच पहुंचे और तमाम जूनियर डॉक्टरों के साथ करीब 4 घंटे तक बैठक की. बैठक कर बाहर निकलने के बाद वे मीडिया से बचते दिखे. 


क्या है पूरा मामला? 


दरअसल, बिहार के बक्सर जिला के रहने वाले रमेश कुमार की मां तेतरी देवी की कल शाम एनएमसीएच में इलाज के दौरान मौत हो गई. मिली जानकारी अनुसार मृतका को 11 अप्रैल को एनएमसीएच के कोविड वार्ड में भर्ती कराया था. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती, जिस वजह से तेतरी देवी की मौत हो गई.


पीड़ित परिजनों ने डॉक्टरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस समय उनकी मां की तबीयत बिगड़ने लगी, उस समय हॉस्पिटल के एक भी डॉक्टर वार्ड में मौजूद नहीं थे. मृतका के बेटे रमेश का कहना है कि वो कई घंटों तक डॉक्टरों से इलाज करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी. इस पूरे घटना क्रम का उनके पास वीडियो भी है, जिसे मीडिया में साझा किया गया है.


परिजनों के डॉक्टरों पर लगाया आरोप 


इधर, जब वीडियो बनाने और शेयर करने की भनक एनएमसीएच के डॉक्टरों और कर्मियों को लगी तो उन्होंने मृतका के परिजनों के साथ मारपीट शुरू कर दी. परिजनों का आरोप है कि पुलिस के सामने डॉक्टरों ने उनके साथ मारपीट की, महिला परिजनों के कपड़े फाड़ डाले, उन्हें बुरी तरह से पीटा और फिर पुलिस के हवाले कर दिया. 


परिजनों के आरोप को बताया गलत


वहीं, इस पूरे मामले में सीनियर डॉक्टर उमा शंकर सिंह ने परिजनों के आरोप को खारिज करते हुए बताया कि मृतका की हालत पहले से ही गंभीर बनी हुई थी. डॉक्टरों के लाख प्रयास के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका. लेकिन उसकी मौत के बाद परिजन काफी आक्रोशित हो गए और वार्ड में तोड़फोड़ करने लगे. अस्पताल में रखे कई सामान को उन्होंने तोड़ दिया. साथ-साथ जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट भी की. ऐसे में पुलिस को बुला कर उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया. 


जूनियर डॉक्टरों ने की सुरक्षा की मांग


इधर, इस घटना के बाद गुस्साए जूनियर डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार करते हुए अस्पताल के काम को ठप कर दिया. उनका कहना है कि आए दिन डॉक्टरों को मरीज के परिजनों का आक्रोश झेलना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कत होती है. ऐसी परिस्तिथि में अस्पताल में काम करना सुरक्षित नहीं है.


जूनियर डॉक्टर अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर एनएमसीएच के अधीक्षक के पास पहुंचे और अस्पताल में समुचित सुरक्षा बल की मांग की. जूनियर डॉक्टरों का साफ तौर से कहना है कि जब तक अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ नहीं की जाती है, तब तक वे वापस काम पर नहीं लौटेंगे. 


जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कही ये बात


कार्य बहिष्कार के संबंध में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रामचंद्र सिंह ने बताया कि वे आंशिक रूप से हड़ताल पर हैं. वो कार्य बहिष्कार नहीं कर रहे हैं. सभी जूनियर डॉक्टर ड्यूटी में हैं, लेकिन कंट्रोल रूम में बैठे हुए हैं. कोई वार्ड में नहीं जा रहा है. 


उन्होंने कहा कि रात में सुपरिटेंडेंट के साथ बैठक हुई है. बैठक में उन्होंने सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है. लेकिन यहां टीओपी में मात्र 5 पुलिसकर्मी हैं, जिनसे पूरा एनएमसीएच नहीं संभल सकता. अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती के लिए सुपरिडेंट ने एसपी से बात की गई है. लेकिन अभी तक उन्हें कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराया गया है. सुरक्षा मिलेगा तो डॉक्टर वार्ड में जाएंगे नहीं तो नहीं जाएंगे.


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