नई दिल्ली: बिहार में चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है, लेकिन अभी तक ना तो एनडीए और ना ही यूपीए का गठबंधन अपनी शक्ल और सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमति बना पाए. इस बीच एनडीए खेमें से बड़ी खबर आई है कि दोनों दल यानी कि बीजेपी और जेडीयू 50-50 फ़ीसदी सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत हो सकते हैं. बीजेपी अपने कोटे से एलजेपी को सीटें, देगी जबकि जेडीयू अपने कोटे से जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा को सीटें देगी.


उधर एलजीपी ने बीजेपी से 27 सीटों की मांग की है, हालांकि बीजेपी सूत्रों के मुताबिक एलजीपी को 10 से 15 सीटें ही देने का प्रस्ताव है. आपको बता दें एलजेपी ने 43 विधानसभा सीटों की मांग की थी, लेकिन अब घटकर एलजेपी 27 सीटों पर आ गई है.


एलजेपी ने गोविंद गंज, बिस्फी, अररिया, बहादुरगंज, किशनगंज, आमोर, बलरामपुर, मधेपुरा, अलीनगर, केओटी, बरूराज, गरखा, रजौली, लालगंज, राज पक्कड़, तगारा, अलौली, कहलगांव, मनेर, देहरी, ओबरा, कुटुंबा, बेलागंज, चकाई, सिकंदरा, जमुई और कटोरिया विधानसभा सीटों की मांग की है. एलजेपी चाहती है कि ये सभी सीटें उसे सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत दी जाएं.


सूत्रों के मुताबिक बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 50-50 फ़ीसदी सीटों पर बीजेपी-जेडीयू लड़ सकती हैं, ऐसी सूरत में 121 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और 122 विधानसभा सीटों पर जेडीयू चुनाव लड़ेगी. बीजेपी अपनी 121 विधानसभा सीटों में से 15 सीटें अधिकतम एलजेपी को दे सकती है, जबकि जेडीयू अपनी 122 विधानसभा सीटों में से 5 से 8 सीटें जीतन राम मांझी के हिंदुस्तान आवाम मोर्चा को दे सकती है.


हालांकि बीजेपी की कोशिश ये भी है कि लोकसभा की तर्ज पर एलजेपी और जीतन राम मांझी के हिंदुस्तान आवाम मोर्चा को सीटें देने के बाद बीजेपी और जेडीयू बची हुई सीटों को आधी आधी बांट लें, लेकिन अभी तक जेडीयू की तरफ से इस पर सहमति नहीं दी गई है, हालांकि अभी भी फॉर्मूले को लेकर लगातार चारों दलों के बीच बातचीत चल रही है. सूत्रों के मुताबिक 1 अक्टूबर तक एनडीए का सीट शेयरिंग फॉर्मूला अंतिम शक्ल ले सकता है.


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