बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राज्य की राजनीति में हलचल और तेज हो गई है. जहां एक ओर प्रमुख दल महागठबंधन और एनडीए सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देने में जुटे हैं, वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चल दिया है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अब अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ मिलकर बिहार में नया गठबंधन यानी थर्ड फ्रंट बनाने जा रही है.

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AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम ने सोमवार (13 अक्टूबर) को इस नए गठबंधन की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस बार पार्टी केवल सीमांचल तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि राज्य की 32 सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी. इमाम ने दावा किया कि यह नया गठबंधन उन सीटों पर बड़ा असर डालेगा जहां मुस्लिम और ओबीसी वोटरों का दबदबा है.

राजद ने गठबंधन में शामिल न करके की बड़ी गलती- अख्तरुल इमाम

AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम ने महागठबंधन, खासकर राजद और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने AIMIM को गठबंधन में शामिल न करके एक बड़ी गलती की है. हमने सिर्फ छह सीटों की मांग की थी, लेकिन हमें दरकिनार किया गया. इसका नतीजा चुनाव में देखने को मिलेगा.

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मुस्लिम-यादव समीकरण को भूल चुकी है राजद- इमाम

अख्तरुल इमाम ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वे 'कहीं से गाइड' किए जा रहे हैं, इसलिए हमेशा विपक्ष में ही रहेंगे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजद अब अपने पुराने ‘MY समीकरण’ (मुस्लिम-यादव) को भूल चुकी है. इमाम के अनुसार राजद अब केवल ‘Y’ तक सीमित हो गई है और ‘M’ को भुला दिया गया है. यही कारण है कि मुसलमान अब मजबूर होकर थर्ड फ्रंट की ओर देख रहे हैं.

चुनावी तस्वीर में नया मोड़ लाएगा ओवैसी और मौर्य का गठबंधन

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी और स्वामी प्रसाद मौर्य का यह गठबंधन बिहार की चुनावी तस्वीर में नया मोड़ ला सकता है. सीमांचल में AIMIM का मजबूत जनाधार पहले से मौजूद है, वहीं मौर्य की पकड़ ओबीसी वर्ग में मानी जाती है. ऐसे में यह गठबंधन कई सीटों पर महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, दोनों पार्टियां मिलकर जल्द ही संयुक्त उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेंगी. AIMIM प्रदेश नेतृत्व का कहना है कि उनका उद्देश्य न केवल सत्ता में हिस्सेदारी बल्कि सामाजिक न्याय की नई दिशा देना है. ओवैसी-मौर्य गठबंधन के ऐलान के बाद बिहार की सियासत में नई जंग छिड़ गई है, जो मुस्लिम-ओबीसी समीकरण को पूरी तरह बदल सकती है और चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है.