हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने स्पष्ट किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने की उनकी बात वास्तविक नहीं थी, बल्कि केवल पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए कही गई थी.
दिल्ली में हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में मांझी के भाषण से सियासी हलचल मची थी, लेकिन अब उन्होंने साफ कर दिया है कि राजग में किसी तरह का मतभेद नहीं है और सभी दल मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे.
मांझी की सफाई और गठबंधन की स्थिति
मांझी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका मकसद केवल कार्यकर्ताओं को प्रेरित करना था. उन्होंने कहा, "जरूरत पड़ने पर हम 243 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकता यही है कि NDA एकजुट होकर बेहतर प्रदर्शन करे." उन्होंने बताया कि सीट बंटवारे का फॉर्मूला उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद तय होगा.
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान की 40 से अधिक सीटों की मांग पर उन्होंने नाराजगी भी जताई. मांझी ने याद दिलाया कि 2020 में पासवान की बगावत के चलते JDU की सीटें प्रभावित हुई थीं.
INDIA गठबंधन की बैठकें भी तेज
वहीं, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (INDIA) ने भी अपनी तैयारियों को तेज किया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में करीब तीन घंटे चली बैठक में सभी दलों ने अब तक की रणनीति पर चर्चा की. कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने बैठक के बाद कहा कि "वोटर अधिकार यात्रा" सफल रही और जनता का माहौल सकारात्मक है.
कांग्रेस, RJD, तीन वाम दल और वीआईपी वर्तमान में इस गठबंधन का हिस्सा हैं. पीटीआई के अनुसार, अल्लावरु ने कहा कि कुछ और दलों को साथ लाने की कोशिश जारी है. उन्होंने गठबंधन के सहयोगियों से त्याग और सामंजस्य की अपील भी की.
सीट बंटवारे पर जोर
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने संकेत दिया कि जल्द ही सीट बंटवारे का फार्मूला तय किया जाएगा. वहीं वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी ने कहा कि संभवत 15 सितंबर तक इस मसले पर अंतिम फैसला हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अपनी उम्मीदों का अभी खुलासा नहीं करेंगे, लेकिन विभिन्न भाषणों में वह संकेत पहले ही दे चुके हैं.
मांझी और विपक्षी दलों के ये बयान स्पष्ट करते हैं कि बिहार में चुनावी माहौल अब तेजी से गर्माने लगा है. जहां राजग के भीतर सीटों को लेकर खींचतान की संभावना है, वहीं विपक्षी गठबंधन भी दलों को साधने की कवायद में जुटा है. ऐसे में आने वाले दो हफ्तों में बिहार की सियासत में बड़े समीकरण तय हो सकते हैं.