पटना : पटना हाईकोर्ट प्रशासन ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में भ्रष्टाचार में लिप्त पटना सिविल कोर्ट के 16 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. इन सभी कर्मचारी पर घूस लेने का आरोप था. बताते चलें कि 15 नवम्बर को एक निजी टीवी चैनल ने कोर्ट में चल रहे घूस और उसके लेन देन को कैमरे में कैद कर प्रसारित किया था, जिसे देश भर के लोगों ने देखा था.


न्यायपालिका की छत्रछाया में रिश्वत खोरी को उजागर करने के बाद यह मामला चर्चित हुआ था. एक्साइज के स्पेशल कोर्ट में पेशकारों और अन्य कर्मियों का अभियुक्तों के साथ लेन देन का खेल जब चल रहा था तो एक टीवी चैनल के पत्रकार ने सबकुछ अपने कैमरे में कैद कर लिया. जैसे ही इसका प्रसारण हुआ वैसे ही न्यायपालिका में खलबली मच गई.



अब कैश फ़ॉर जस्टिस प्रकरण जिसमें टीवी चैनल पर पटना सिविल कोर्ट के कर्मियों को खुले आम घूस मांगते देखा था, उस कांड में सभी 16 आरोपी कोर्ट कर्मियों को पटना हाई कोर्ट प्रशासन ने उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया है.बर्खास्त किये गए कर्मियों में 8 पेशकार भी शामिल हैं.



खबरों के मुताबिक एक्साइज के स्पेशल कोर्ट में पेशकारों और अन्य कर्मियों का अभियुक्तों के साथ लेन-देन के खेल का जैसे ही प्रसारण हुआ वैसे ही न्यायपालिका में खलबली मच गई. पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन के संज्ञान में यह मामला आया तो उन्होंने टीवी में दिखने वाले सभी कर्मियों को तुरंत निलंबित करने का आदेश दे दिया था.



इस सिलसिले में पटना हाई कोर्ट में एडवोकेट दिनेश ने उन कर्मियों के खिलाफ एफआईआर करने हेतु एक जनहित याचिका भी दायर किया था. न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय की खण्डपीठ ने उक्त जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए, एफआईआर दर्ज हेतु प्रशासनिक निर्णय लेने के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश को रेफर किया था. जिसपर सुनवाई करते हुए मंगलवार को हाई कोर्ट प्रशासन ने अंततः सेवा से बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया.



बर्खास्त होने वाले कर्मियों की सूची



बर्खास्त होने वाले कर्मी हैं- पेशकार कुमार नागेन्द्र, पेशकार संजय शंकर, पेशकार रोमेंद्र कुमार, पेशकार संतोष तिवारी, पेशकार आशीष दीक्षित,पेशकार प्रदीप कुमार, पेशकार सुनील कुमार यादव,पेशकार विश्वमोहन विजय, क्लर्क मुकेश कुमार, टाइपिस्ट सुबोध कुमार ,नकलखाना क्लर्क शहनाज रिजवी , सर्वर रूम के क्लर्क सुबोध कुमार , चपरासी मणि देवी, चपरासी मधु राय, चपरासी राम एकबाल और चपरासी आलोक कुमार.पटना सिविल कोर्ट के इतिहास में पहली बार भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों की इतनी बड़ी संख्या में बर्खास्तगी का मामला आया है.