बिहार विधानसभा चुनाव का समय नजदीक है. सभी दलों के नेता जहां पूरी तैयारी में लगे हुए हैं और विधायक अपने क्षेत्र में लगातार भ्रमण कर जनता को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं, तो जनता भी उनके कामकाज का हिसाब मांग रही है. विधायक ने कैसा काम किया? इसकी ग्राउंड रिपोर्ट जाने के लिए मंगलवार को एबीपी न्यूज की टीम ने भोजपुर जिले के बड़हरा विधानसभा का भ्रमण किया. यहां के ग्रामीणों की बयान जान कर आप दंग हो जाएंगे.
बड़हरा में सड़क की सबसे बड़ी समस्या
इस क्षेत्र में कई गांव ऐसे भी मिले जहां सड़क की बड़ी समस्या मिली. नीतीश सरकार का दावा है कि पूरे बिहार में सड़कों का जाल बिछा है, लेकिन बड़हरा विधानसभा क्षेत्र का कई गांव आज भी आवागमन की समस्या से परेशान हैं और एनडीए के विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह को बदलने की मांग करने लगे हैं.
विधानसभा क्षेत्र के अथमलपुर बाजार में एबीपी न्यूज की टीम ने लोगों से बात किया कि विधायक का रिपोर्ट कार्ड क्या है? ग्रमीणों ने सुनते ही कहा कि विधायक जी कौन हैं, हम तो देखे भी नहीं हैं. एक स्थानीय मनोज सिंह ने बताया कि हम लोग हमेशा से एनडीए के वोटर रहे हैं, लेकिन अगर बीजेपी वर्तमान विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट देती है तो हम लोग उन्हें सबक सिखाएंगे और इसका खामियाजा बीजेपी और एनडीए को भुगतना पड़ेगा.
'इस बार कैंडिडेट का बदलाव करना होगा'
लोगों ने कहा कि पार्टी को इस बार कैंडिडेट का बदलाव करना होगा, क्योंकि विधायक का काम इतना खराब है कि हम लोग आज भी 2005 से पहले वाली स्थिति में जी रहे हैं. एक युवा समीर कुमार ने बताया कि हम पढ़ाई करते हैं हमको प्रतिदिन आरा में कॉलेज जाते है वहां पर 10 बजे से पढ़ाई शुरू होती है. उसके लिए हमको यहां से साढ़े आठ बजे हर हाल में निकालना पड़ता है जबकि आरा मात्र 16 किलोमीटर है लेकिन दूरी तय करने में डेढ़ घंटे लगते हैं.
समीर कुमार ने बताया कि उसकी बड़ी वजह है कि इस गांव से सरैया बाजार छह किलोमीटर है और सरैया बाजार से 11 किलोमीटर पर आरा है. सरैया से हम लोग 25 से 30 मिनट में आरा पहुंच जाते हैं लेकिन हमारे गांव से सरैया जाने के लिए एक घंटे से ज्यादा समय लगता है, क्योंकि पूरी सड़क खराब है. कई बार विधायक से सड़क बनाने की बात की गई लेकिन सड़क निर्माण तो दूर की चीज है कभी हाल-चाल लेने भी नहीं पहुंचे.
समीर कुमार ने कहा "हमारे यहां पर गंगा नदी 6 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन पूरी बरसात बाढ़ से हम लोग घिर जाते हैं. उसकी बड़ी वजह है कि हम हमारे गांव सहित दर्जनों गांव की सुरक्षा के लिए जो बांध था. वह पूरी तरह टूट चुका है. उस बांध को बनाने के लिए कई बार विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह से कहा गया, लेकिन हमारी समस्या पर उनका ध्यान ही नहीं रहता है. बांध और ग्रामीण सड़क इस इलाके की सबसे बड़ी मुद्दा है."
स्वास्थ और नल जल की व्यवस्था भी नहीं
ग्रामीण धर्मेंद्र प्रसाद ने बताया कि सिर्फ सड़क और बांध ही नहीं स्वास्थ व्यवस्था काफी खराब है. गांव में एक झोला छाप डॉक्टर है उन्हीं के सहारे हम लोग का स्वास्थ्य व्यवस्था चलता है. नल जल की व्यवस्था सिर्फ कागजो पर है. किसी के घर में नल जल का पानी नहीं मिलता है. सभी घर में चापाकल की एक सहारा है. इसलिए हम लोग एनडीए में ही बदलाव चाहते हैं. एक अजय सिंह हैं, जो हमेशा से गांव वाले का ख्याल रखते हैं कोई भी समस्या होती है तो हम लोग उनके पास जाते हैं.
धर्मेंद्र प्रसाद ने कहा कि पार्टी से हम लोग गुहार लगाते हैं कि अजय सिंह को टिकट दिया जाए. अगर फिर से राघवेंद्र सिंह को टिकट दी गई तो हम लोग उनका विरोध करेंगे. हालांकि लोगों ने कहा कि हम लोग आरजेडी को भी वोट देना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता की सरकार भी देखे हैं. यह वादा बड़े-बड़े कर रहे हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद क्या करेंगे इसका भरोसा नहीं है. एनडीए को सब दिन हम लोगों ने वोट दिया है, लेकिन वर्तमान विधायक को टिकट दी गई तो नुकसान होगा, हम लोग पुरजोर विरोध करेंगे.
बड़हरा सीट पर राघवेंद्र प्रताप का रहा कब्जा
बतादें कि बड़हरा विधानसभा सीट पर कभी बाप तो कभी बेटे का कब्जा होता है. यहां के वर्तमान विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के पिता स्वर्गीय अंबिका शरण सिंह 1967 के चुनाव में कांग्रेस की ओर से जीते, जो दो बार इस सीट से विधायक बने, उसके बाद उनके बेटे राघवेन्द्र प्रताप सिंह 1985 में यहां पर चुनाव जीते और 2000 तक लगातार चार बार इस सीट पर कब्जा जमाए रखा. 2005 में यहां से जदयू को जीत मिली, लेकिन पिछले दो चुनाव में आरजेडी का ही कब्जा रहा है. राघवेंद्र सिंह इस सीट से आरजेडी, बीजेपी सब के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और जीते हैं.
2010 में आरजेडी से चुनाव जीते थे. 2015 में आरजेडी के कौशल किशोर ने जीत दर्ज किया तो फिर 2020 में राघवेंद्र सिंह बीजेपी का टिकट से चुनाव जीते. इस सीट पर ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ, बनिया जैसे समुदाय के अधिक वोटर हैं. इसके अलावा यादव, दलित और मुसलमान समाज का तबका भी बड़ी संख्या में यहां का वोटर है, यही कारण है आरजेडी का एमवाई समीकरण यहां पर काम आता है. यहां वोटरों की संख्या को देखें तो तीन लाख के करीब वोटर हैं.
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