बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अशोक चौधरी ने मंगलवार को जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को 100 करोड़ रुपये का मानहानि का नोटिस भेजा है. दरअसल प्रशांत किशोर ने मंत्री पर 200 करोड़ के घोटाले और जमीन धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. अब अदालत ने किशोर को 17 अक्टूबर को पेश होने के लिए समन जारी किया है.
अशोक चौधरी ने कहा आरोप निराधार और भ्रामक
अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर के आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया है. उन्होंने अपनी बेटी और सांसद शांभवी चौधरी के खिलाफ बेनामी संपत्ति के आरोपों से इनकार किया. अशोक चौधरी ने स्पष्ट किया कि जिस संपत्ति पर बेनामी होने का आरोप लगाया जा रहा है, वह शांभवी चौधरी ने 21 फरवरी, 2021 को अपनी वैध आय से खरीदी थी और इसका उल्लेख उनके चुनावी हलफनामे में भी किया गया था. इसलिए, बेनामी होने का कोई सवाल ही नहीं उठता.
प्रशांत किशोर का आरोप है कि अशोक चौधरी मुख्यमंत्री के दाहिने हाथ हैं और इन्होंने बिहार में भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बनाया है. इन्होंने अपने पर्सनल सेक्रेटरी योगेंद्र दत्त के नाम पर साल 2019 में 23 कट्ठा जमीन खरीदा. योगेन्द्र दत्त ने दो साल बाद उस जमीन को अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी के नाम 34 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया, लेकिन उनको अकाउंट से सिर्फ 10 लाख रुपये दिए गए. बाद में इनकम टैक्स के नोटिस पर इन्होंने 27 अप्रैल 2025 को इनकम टैक्स नोटिस से बचने के लिए योगेंद्र दत्त को 25 लाख रुपये फिर ट्रांसफर किए?
एनडीए के तीन अन्य बड़े नेताओं पर भी आरोप
प्रशांत ने सिर्फ अशोक चौधरी पर ही नहीं एनडीए के तीन अन्य बड़े नेताओं पर भी आरोप लगाए हैं, जिनमें मंगल पांडेय, संजय जायसवाल और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी शामिल हैं. इससे पहले मंगल पांडेय ने कहा था कि, "प्रशांत किशोर जो कुछ भी कह रहे हैं, वह पूरी तरह से राजनीतिक बयानबाजी है. इसमें न तो कोई आधार है और न ही कोई तथ्य. वह केवल भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. यह पूरी तरह से राजनीतिक लाभ के लिए दिए जा रहे हैं." अब देखना ये है कि अशोक चौधरी के बाद ये अन्य तीन नेता पीके के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं.
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