बिहार के आरा से एसआईआर को लेकर चौंकाने वाली खबर सामने आई है. यहां 74 वर्षीय शिक्षिका मेरी टोप्पो, जिन्होंने जीवनभर वोट डालकर लोकतंत्र को मजबूत किया, उन्हें चुनाव आयोग ने अचानक “मृत” घोषित कर दिया. न सिर्फ उनका, बल्कि उनके तीनों बेटों का भी नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है.
आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल
जिंदा इंसान को मृत घोषित करने और पूरे परिवार को वोट के अधिकार से वंचित करने की इस चूक ने आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इससे उनकी जिंदगी अचानक बदल गई है. 74 वर्षीय मेरी टोप्पो, जो मोंटेसरी स्कूल में शिक्षिका रह चुकी हैं, उनको चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के दौरान मृत घोषित कर दिया है.
उनके साथ-साथ उनके तीन बेटों के नाम भी ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं. यह खबर सुनकर पूरा परिवार हैरान और परेशान हो गया है. मेरी टोप्पो का कहना है कि वह अभी भी जिंदा हैं और उनके पास वोट देने का अधिकार है. वह कहती हैं, "मैं सामने बैठी हूं, मुझे मृत घोषित कर देना सरकार की गलती है."
उनका आरोप है कि उनकी शादी झारखंड निवासी सिल्वेस्टर टोप्पो से हुई थी, जो अब नहीं हैं, और वह पिछले 50 वर्षों से आरा में रह रही हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने हर चुनाव में वोट दिया है और यह उनका अधिकार है. मेरी टोप्पो ने मृत घोषित किए जाने पर कहा कि अब जो आयोग की प्रक्रिया है, जो फॉर्म है, उसे भरेंगे.
यह सरकार की लापरवाही है, जिसने जिंदा इंसान को मृत घोषित कर दिया है. मैं आपके सामने साक्षात बात कर रही हूं. उन्होंने बताया कि मेरे तीन बेटे हैं. उन तीनों का भी नाम सूची में नहीं है. सबसे बड़ा बेटा चंदन टोप्पो (40) दिल्ली में काम करते है. बीच वाला बेटा आलबर्ट टोप्पो (आलबीटु टोप्पो सूची के अनुसार) जो किसी काम से वाराणसी गया है, वहीं सबसे छोटे बेटे क्लारेंस टोप्पो का भी नाम स्थानांतरित कर दिया गया है.
वहीं मेरी टोप्पो के 38 वर्षीय क्लारेंस टोप्पो ने बताया कि मुझे कल सुबह मेरे मित्र का कॉल आया कि मेरी मां मेरी टोप्पो को एसआईआर में मृत घोषित कर दिया गया है. साथ ही सभी भाइयों को स्थानांतरित कर दिया है. जब मुझे पता चला मेरी माता जी का नाम वोटर लिस्ट में मृत घोषित कर दिया गया है. इतनी बड़ी लापरवाही चुनाव आयोग के जरिए किए जाने पर मैं अचंभित हूं.
क्लारेंस टोप्पो ने कहा, "हम तीन भाई है और तीनों भाइयों का नाम स्थानांतरित कर दिया गया है. मुझे कल ही पता चला है तो अब जो भी कागजी प्रक्रिया है उसे पूरा करेंगे." वहीं क्लारेंस टोप्पो ने बताया कि एसआईआर की प्रक्रिया जब चल रही थी तो बीएलओ ने कोई मुलाकात नहीं की.
बीएलओ का क्या है कहना?
वहीं क्लारेंस टोप्पो के दोस्त अभिषेक द्विवेदी ने बताया कि यह मामला 223 बूथ यादव विद्यापीठ प्लस टू हाई स्कूल का मामला है. कल सुबह जब मैं जा रहा था तो स्कूल खुला था और जिन लोगों का काम कटा है उनका नाम सार्वजनिक किया गया था, तो मैंने जब सूची करीब सुबह सात-साढ़े सात बजे देखा तो उसमें मेरे दोस्त का नाम काटा हुआ था, जिसके बाद मैंने अपने मित्र को सूचित किया.
उन्होंने कहा कि इस विषय पर जब हमने बीएलओ से बात हुई तो बीएलओ ने कहा कि हमने ट्रेस किया था तो वो सभी ट्रेस नहीं हुए. मैं सीधा सीधा इस मामले में सरकार को दोषी ठहराता हूं. इस देश कोई गरीब है तो अमीर है, लेकिन एक शेड्यूल कास्ट से जुड़े लोगों का लिस्ट से नाम काट देना सरासर गलत है.