पटना: नीतीश कुमार ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. राजभवन में आयोजित समारोह में बीजेपी विधानमंडल दल के नेता और कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद,  उपनेता और बेतिया से विधायक रेणु देवी ने भी शपथ ली. इस बार राज्य में दो डिप्टी सीएम होंगे. तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी अगले डिप्टी सीएम होंगे.


पूर्व में बिहार सरकार में मंत्री का पद संभाल चुकीं रेणु देवी इस बार बेतिया से पांचवीं बार बीजेपी विधायक के तौर पर चुनी गईं हैं. वह पहली बार साल 2000 में विधायक बनी थी और उसके बाद 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की. लेकिन 2015 में महागठबंधन की लहर के वक्त दो हजार से भी कम वोटों के अंतर से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था.


लंबा रहा राजनीति अनुभव
62 वर्षीय रेणु देवी को महिला उप-मुख्यमंत्री चुने जाने के पीछे उनका बड़ा राजनीतिक अनुभव माना जा रहा है. 1977 में मुजफ्फरपुर विवि से इंटर पास रेणु देवी 1988 से ही राजनीतिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं. रेणु की मां भी संघ परिवार से जुड़ी थीं और उनके ननिवाहल में भी बीजेपी और संघ का प्रभाव रहा. 2005-09 के दौरान नीतीश कुमार की कैबिनट में राज्य की खेल, कला एवं संस्कृति मंत्री रह चुकीं रेणु देवी को पार्टी के महिला मोर्चा में कई जिम्मेदारियां दी जा चुकी है.


रेणु देवी को आगे करने की वजह?
दरअसल, रेणु देवी को आगे कर बीजेपी ने राज्य के अतिपिछड़ा समाज को साधने की कोशिश की है. रेणु देवी नोनिया अतिपिछड़ा समाज से आती हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कुछ दिन पहले अतिपिछड़ा को एनडीए का समर्थक और उसे साइलेंट वोटर बताकर इस समुदाय को बीजेपी  ने अपनी ओर खींचने की कोशिश की थी.  बिहार में अतिपिछड़ा वोटर अब तक जेडीयू का बड़ा वोटबैंक बना जाता था. ऐसे में बीजेपी ने कहीं न कहीं इस तरह से अपने ही सहयोगी दल के कोर वोट में सेंधमारी की कोशिश करती हुई दिख रही है.


गौरतलब है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सहयोगी जेडीयू के मुकाबले 31 सीटें ज्यादा जीतने वाली बीजेपी इस बार मजबूत स्थिति में है. बीजेपी ने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली कैबिनेट में अपने कोटे से 2 उप-मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. बीजेपी सुशील मोदी को हटाकर जहां वैश्य समाज से तारकिशोर को अपना डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया तो वहीं दूसरी डिप्टी सीएम के तौर पर रेणु देवी को आगे किया है. जाहिर तौर पर इस तरह से बीजेपी जातिगण समीकरणों को साधते हुए पार्टी के भविष्य को लेकर अपने कदमों को बड़ी ही सूझबूझ के साथ आगे बढ़ा रही है.


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