देश में बिहार हर्ड इम्यूनिटी की सीमा के करीब पहुंच गया है, क्योंकि 73 फीसद आबादी में एंटीबॉडीज की मौजूदगी का पता चला है. ये एंटीबॉडीज या तो पूर्व के संक्रमण से विकसित हुई या टीकाकरण के जरिए. ये खुलासा 14 जून से 6 जुलाई के बीच हुए चौथे सेरोलॉजिकल सर्वे के दौरान हुआ. इसके लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने भारत के 21 राज्यों में सर्वे किया.


बिहार हर्ड इम्यूनिटी के करीब


बिहार की सेरोलॉजिकल की रिपोर्ट राष्ट्रीय औसत 67.6 फीसद के मुकाबले ज्यादा रही. छह जिलों में बक्सर सेरोपॉजिटिविटी में सबसे ऊंचे पायदान 83.8 फीसद पर था, उसके बाद मधुबनी में 77.1 फीसद, अरवल में 73.7 फीसद, बेगूसराय में 72.7 फीसद, मुजफ्फरपुर में 65.3 फीसद और पूर्णिया में 65 फीसद था.


बक्सर जिले की सामान्य आबादी के बीच 10 समूहों में लिए गए 400 लोगों के सैंपल में से 335 किसी न किसी स्तर पर कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे. उसी तरह, मधुबनी में 424 लोगों के सैंपल में 327 पॉजिटिव मिले, अरवल में 411 लोगों में से 303, बेगूसराय में 417 लोगों में से 303, मुजफ्फरपुर में 404 लोगों में से 264 जबकि पूर्णिया में 408 लोगों में से 265 सैंपल में कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई. सर्वे से पता चला कि संक्रमित रह चुके लोगों में एंडीबॉडीज विकसित हो चुकी है.


हर्ड इम्यूनिटी का क्या मतलब है? 


हर्ड इम्यूनिटी का मतलब है काफी लोगों ने किसी बीमारी को फैलने से रोकने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर ली है. इंडियन एसोसिएशन ऑफ पब्लिक हेल्थ के उपाध्यक्ष और पटना एम्स के मेडिकल अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह ने कहा, "बिहार में 73 फीसद की सेरोपॉजिटिविटी कोरोना के खिलाफ अच्छा संकेत है. अगर तीसरी लहर आती भी है, तो कोरोना वायरस के लिए मात्र 27 फीसद आबादी अतिसंवेदनशील है." उन्होंने आगे बताया,"चूंकि वायरस में बहुत तेजी से बदलाव आ रहा है, ऐसे में लोगों के दोबारा संक्रमित होने का खतरा हो सकता है, इसलिए कोविड-19 के अनुकूल व्यवहार का पालन किया जाना चाहिए. दूसरी बार संक्रमण होने पर 73 फीसद आबादी में लक्षण हल्के होंगे