बिहार (Bihar) की तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर जेडीयू (JDU)और राजद (RJD) में कांटे की टक्कर हुई. दोनों सीटें जेडीयू ने जीत लीं. बिहार में उपचुनाव के ये परिणाम कांग्रेस (Congress)और लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए संदेश लेकर आया है. दोनों जगह कांग्रेस और लोजपा (रामविलास) जमानत भी नहीं बचा पाईं. दोनों ने यह चुनाव बिना किसी गठबंधन के लड़ा था. आइए जानते हैं कि कांग्रेस और लोजपा के लिए उपचुनाव से क्या संदेश निकला है. 


कांग्रेस और लोजपा का प्रदर्शन


कुशेश्वरस्थान में कांग्रेस को 5 हजार 603 और लोजपा (रामविलास) को 5 हजार 623 वोट मिले. वहां जेडीयू के अमन भूषण हजारी ने राजद के गणेश भारती को 12 हजार 695 वोटों के अंतर से हराया. वहीं तारापुर में कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्र को 3 हजार 590 और लोजपा (रामविलास) के चंदन कुमार को 5 हजार 364 वोट मिले. वहां जेडीयू के राजीव कुमार सिंह ने राजद के अरुण कुमार को 3 हजार 852 वोट के अंतर से हराया. 


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कांग्रेस ने 2020 के विधानसभा चुनाव में केवल कुशेश्वरस्थान सीट पर ही लड़ा था. उस समय उसका वामदलों और राजद से गठबंधन था. कांग्रेस के डॉक्टर अशोक कुमार को 46 हजार 758 या 34.26 फीसदी वोट मिले थे. उपचुनाव में कांग्रेस ने अशोक कुमार के बेटे अतिरेक कुमार को टिकट दिया. वो 5603 वोट ही पा सके. बीते विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट राजद के खाते में गई थी.  


इसी तरह 2020 के चुनाव में कुशेश्वरस्थान में लोजपा की पूनम कुमारी को 13 हजार 362 या 9.79 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन उपचुनाव में लोजपा की अंजू देवी को केवल 5 हजार 623 वोटों ही मिले. वहीं तारापुर में 2020 में लोजपा की मीना देवी को 11 हजार 264 या 6.45 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन उपचुनाव में लोजपा (रामविलास) के चंदन कुमार को 5 हजार 364 वोट ही मिले.   


पिछले चुनावों में कांग्रेस-लोजपा का प्रदर्शन


जब हम 2020 और 2021 के आंकड़ों को देखते हैं तो पाते हैं कि इन सीटों पर कांग्रेस और लोजपा (रामविलास) के लिए अकेले कुछ नहीं है. पिछले चुनाव में कांग्रेस, राजद और वामदलों के गठबंधन में शामिल थी. वहीं उस चुनाव में लोजपा का बंटवारा नहीं हुआ था. अब लोजपा का लोजपा (रामविलास) और राष्ट्रीय लोजपा में बंट चुकी है. राष्ट्रीय लोजपा की कमान पशुपति पारस और लोजपा (रामविलास) की कमान चिराग पासवान के पास है. लोजपा ने 2020 का चुनाव बिना किसी गठबंधन के लड़ा था. वहीं 2015 में वह बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए में शामिल थी. 


लोजपा ने 2020 में 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे एक सीट मिली थी. लोजपा को 23 लाख 83 हजार 739 या 5.66 फीसदी वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस ने 70 सीटों में से 19 पर ही जीत दर्ज की थी. उसे 39 लाख 95 हजार 319 वोट या 9.48 फीसदी वोट मिले थे.


गठबंधन की राजनीति


लोजपा ने 2015 का चुनाव एनडीए में बीजेपी के साथ लड़ा था. उसने 42 सीटों पर लड़कर 2 सीटें जीती थीं. उसे 18 लाख 40 हजार 834 वोट या 4.83 फीसदी वोट मिले थे. इसी तरह कांग्रेस ने वह चुनाव राजद के साथ मिलकर 41 सीटों पर लड़ा था. उसने 27 सीटें जीती थीं. उसे 25 लाख 39 हजार 638 वोट या 6.66 फीसदी वोट मिले थे. 


बिहार की राजनीति में पिछले 3 दशक में एक बात साफ तौर पर उभर कर सामने आई है कि जब बड़े दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें इसका फायद मिलता है. लेकिन जब-जब कोई दल अकेले चुनाव मैंदान में उतरता है तो उसे घाटा होता है. ऐसे में कांग्रेस और लोजपा (रामविलास) के लिए संदेश यह है कि दोनों किसी न किसी गठबंधन में शामिल रहे. अब इसका फैसला इन दलों के नेतृत्व को लेना है. 


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