IPL 2022 Venue: बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2022) के वेन्यू के लिए अलग-अलग विकल्पों पर विचार कर रही है. इस बीच क्रिकेट साउथ अफ्रीका (CSA) ने अपने देश में लीग के आयोजन के लिए बीसीसीआई को प्रस्ताव को भेजा है. साथ ही उन्होंने ये तक कहा है कि पिछले साल यूएई (UAE) में आयोजित हुए टूर्नामेंट की तुलना में उनके देश में लीग का आयोजन करना एक सस्ता विकल्प होगा. 


उपलब्ध जानकारी के अनुसार बीसीसीआई (BCCI) और सीएसए के बीच चर्चा जारी है. चर्चाओं में उन वेन्यूज को खास महत्व दिया जा रहा है जो आस-पास हो और जिनमें यात्रा करने में सबसे कम समय लगे. इससे हवाई यात्रा का अतिरिक्त खर्च और समय बचाया जा सकेगा. इसके साथ ही यूएई की तुलना में साउथ अफ्रीका में होटल का खर्च भी कम लगेगा, जहां पिछले साल दुबई एक्सपो की वजह से टीमों को एक मोटी रकम चुकानी पड़ी थी. 


सीएसए के ब्लूप्रिंट में जोहानसबर्ग के आस-पास चार वेन्यूज जिक्र किया गया है. जिसमें सबसे ज्यादा मैच जोहान्सबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम के लिए प्रस्तावित हैं, जहां सभी टीमें अपने बायो बबल में प्रवेश करेंगी. राजधानी शहर के साथ प्रिटोरिया के सेंचुरियन पार्क, बेनोनी के विलोमूर पार्क और पोटचेफस्ट्रूम के सेनवेस क्रिकेट स्टेडियम के नाम प्रस्तावित हैं. ये चारों इंटरनेशनल मैदान एक दुसरे के ड्राइविंग दूरी पर स्थित है, जिससे सभी टीमें जोहानसबर्ग में अपना बेस बना सकेगी.


आपको बतां दें कि लखनऊ और अहमदाबाद की टीमें जुड़ने के साथ ही इस बार आईपीएल (Indian Premier League) में कुल 10 टीमें खेलेंगी. जिनके बीच 74 मैच खेले जाएंगे, जो पिछले सीजन खेले गए 60 मैचों से ज्यादा होंगे. 


सीएसए (CSA) ने अपने ऑफर में केपटाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम और पास के पार्ल मैदान का नाम शामिल किया है. जहां हाल ही में संपन्न हुए भारत-साउथ अफ्रीका सीरीज (IND vs SA Series) के 6 में से चार मैच (एक टेस्ट और तीन वनडे) खेले गए हैं. इस प्रस्ताव के अनुसार टीमें केप टाउन और जोहान्सबर्ग में अपना कैंप लगाएंगी. 


गौरतलब है कि साल 2009 में आईपीएल के दूसरे सीजन का आयोजन साउथ अफ्रीका में किया गया था. सीएसए ने उस वक्त बायो बबल या कोविड-19 जैसी मुश्किलें न होने की वजह से देशभर के अलग-अलग 8 वेन्यू में लीग की मेजबानी की थी.


हालांकि बीसीसीआई और सीएसए के अधिकारियों ने फिलहाल इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है. लेकिन चर्चाओं में दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रॉन के आंकड़ों को भी ध्यान में रखा जा रहा है.