टेस्ट, क्रिकेट के खेल का सबसे लंबा और पुराना फॉर्मेट है. आमतौर पर एक टेस्ट मैच 5 दिन तक चलता है, लेकिन दोनों टीम समय से पहले आउट हो जाती हैं तो मुकाबला दूसरे, तीसरे या फिर चौथे दिन भी समाप्त हो सकता है. पिछले कुछ समय में रेड-बॉल क्रिकेट में स्लो-ओवर रेट की समस्या ने जोर पकड़ा है, क्योंकि टीम एक दिन में 90 ओवर गेंदबाजी करने में असमर्थ दिखी हैं. कभी आपने ICC के नियमों पर गौर किया है कि एक दिन में 90 ओवर ही क्यों फेंके जाते हैं. क्या एक दिन में 90 ओवरों से ज्यादा गेंदबाजी भी की जा सकती है. यहां डिटेल में समझिए इस सवाल का जवाब.

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टेस्ट मैच के नियमों पर गौर करें तो एक दिन में 90 ओवर गेंदबाजी करना अनिवार्य होता है. एक दिन में तीन सेशन होते हैं और प्रत्येक सेशन में 30 ओवर गेंदबाजी करने का नियम है. दरअसल नियमानुसार एक दिन में कम से कम 90 ओवर फेंकने होते हैं, लेकिन ज्यादा ओवर फेंकने के लिए कोई लिमिट नहीं है. एक दिन में 90 ओवरों की संख्या को एक मानक के तौर पर देखा जाता है. वहीं पूरे टेस्ट मैच के दौरान पांच दिनों के भीतर कम से कम 450 ओवर फेंके जाने होते हैं, लेकिन इससे ज्यादा ओवर भी फेंके जा सकते हैं.

आमतौर पर प्रतिघंटा ओवरों की रफ्तार 13-15 होती है और ज्यादातर टीमें एक दिन में 90 ओवर पूरे नहीं कर पाती हैं. ऐसे में स्लो-ओवर रेट की समस्या बढ़ती ही जा रही है. इस समस्या से निपटने के लिए ICC ने नए नियम भी बनाए हैं. यह नियम अभी ODI और टी20 में लागू किया गया है कि बॉलिंग टीम को 60 सेकेंड के अंतराल में अगला ओवर शुरू करना होगा. किसी टीम को एक ही मैच में तीन बार इस नियम का उल्लंघन करते पाया जाता है तो उसे पांच रन की पेनल्टी भुगतनी होगी.

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