भारत के महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत की हार के बाद विराट कोहली की कप्तानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं. गावस्कर का मानना है कि कोहली को दोबारा कप्तानी सौंपे जाने से पहले आधिकारिक बैठक होनी चाहिए थी. मिड-डे में प्रकाशित अपने लेख में गावस्कर ने लिखा है, "अगर चयनकर्ता वेस्टइंडीज दौरे के लिए कप्तान का चयन बिना किसी मीटिंग के लिए कर लिया तो यह सवाल उठता है कि क्या कोहली अपनी बदौलत टीम के कप्तान हैं या फिर चयन समिति की खुशी के कारण हैं."


गावस्कर ने लिखा, "हमारी जानकारी के मुताबिक कोहली नियुक्ति विश्व कप तक के लिए ही थी. इसके बाद चयनकर्ताओं को इस मसले पर मीटिंग बुलानी चाहिए थी. यह अलग बात है कि यह मीटिंग पांच मिनट ही चलती लेकिन ऐसा होना चाहिए था."


एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली भारतीय चयन समिति ने वेस्टइंडीज दौरे के लिए कोहली को तीनो फॉरमेट का कप्तान नियुक्त किया है. इस सीरीज की शुरुआत फ्लोरिडा में होने वाले टी-20 मुकाबलों से होगी.


इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने साफ कर दिया कि वह विश्व कप में टीम के प्रदर्शन पर रिव्यू बैठक नहीं नहीं बुलाएगी लेकिन वह इस विश्व कप में टीम के प्रदर्शन को लेकर टीम मैनेजर की रिपोर्ट पर विचार करेगी.


गावस्कर ने पूरे मामले का माखौल उड़ाते हुए लिखा कि आखिरकार कोहली क्यों अपने मनमाफिक टीम चुनने का हक पाते रहे हैं.


गावस्कर ने लिखा, "चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं. पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया. प्रक्रिया को बाईपास करने से यह संदेश गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था और नतीजा हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी."


बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप के ध्यान में रखते हुए तीनों फॉरमेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता था और इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता.