Shahbaz Ahmed: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच रांची में खेला गया दूसरा वनडे शाहबाद अहमद की जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन रहा. हरियाणा के पलवल के रहने वाले शाहबाज ने भारत के लिए अपना डेब्यू किया. डेब्यू मैच से उनका सबसे बड़ा सपना पूरा हुआ, लेकिन उनके पिता का इस पर रिएक्शन काफी चौंकाने वाला है. शाहबाज के पिता बेटे की सफलता से तो खुश हैं, लेकिन आज भी पढ़ाई छोड़कर क्रिकेट खेलने की बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.


इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत करते हुए शाहबाज के पिता अहमद जान ने बताया कि उनके घर में पढ़ाई को काफी महत्व दिया गया और शाहबाज खुद पढ़ने में बहुत अच्छे थे. शाहबाज ने दसवीं में 80 और 12वीं में 88 प्रतिशत नंबर लाए थे. हालांकि, इसके बाद क्रिकेट की ओर रुख करना चौंकाने वाला फैसला था.


जान ने बताया, "मेरे पिता हेडमास्टर थे. मैं सरकारी नौकरी कर रहा हूं. मेरा भाई टीचर और मेरी बेटी डॉक्टर है. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि शाहबाज क्रिकेट खेलने के लिए पढ़ाई छोड़ देगा. कोई बाप नहीं चाहेगा कि उसका बेटा क्रिकेट खेलने के लिए पढ़ाई छोड़े."


शाहबाज इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन वह कई महीनों से कॉलेज नहीं गए थे. उनके माता-पिता को यह बात तब पता चली जब उनके घर पर कॉलेज से लेटर आया. कॉलेज पहुंचे तो शाहबाज वहां भी नहीं थे और तब उन्हें पता चला कि उनका बेटा क्रिकेट के लिए पढ़ाई छोड़ने का मन बना चुका है. शाहबाज कोलकाता गए और वहां संघर्ष करके रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम में जगह हासिल की. अब वह भारत के लिए भी खेल चुके हैं.


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