World Cup 2023 Final: घरेलू मैदान.. क्रिकेट फैंस का सपोर्ट.. दमदार टीम... और सभी खिलाड़ी फॉर्म में. इन सब के बावजूद टीम इंडिया के हाथ से वर्ल्ड कप ट्रॉफी निकल गई. हार उस टीम से मिली जिससे वर्ल्ड कप के अपने ओपनिंग मैच में ही एकतरफा जीते थे. पहले मैच से सेमीफाइनल मुकाबले तक सब कुछ ठीक था. कहीं कोई कमजोर कड़ी नजर नहीं आ रही थी. वर्ल्ड कप टाइटल जीतने की पूरे दावे किए जा रहे थे. आखिर फिर चूक कहां हो गई? जो कुछ गलतियां हुईं, वह क्यों हुईं? और कुछ कमियां थी भी तो आखिरी समय रहते उन पर काम क्यों नहीं किया गया? यह सभी सवाल अब शायद लंबे वक्त तक हर भारतीय क्रिकेट फैंस के मन में आते रहेंगे.


खैर, क्रिकेट का गेम है. कभी जीत तो कभी हार होती है. गलतियां भी सभी से होती है. अब तक 10 मुकाबले एकतरफा भी तो जीत रहे थे. खेल में यह सब होता रहता है. लेकिन ट्रॉफी का सपना लिए बैठे क्रिकेट फैंस को भला यह कौन समझाए. इनमें तो क्रिकेट की ऐसी दिवानगी होती है जो एक मैच जीताने पर आपको भगवान बना देती है तो वहीं अगला मैच हारने पर आलोचनाओं का पिटारा खुलवा देती है. वर्ल्ड कप फाइनल के बाद कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है.


एडवर्टाइजमेंट में लगे रहे और फिर ट्रॉफी निकल गई
सोशल मीडिया पर क्रिकेट फैंस लिख रहे हैं कि टीम इंडिया के खिलाड़ी बस एडवर्टाइजमेंट में लगे रहे और वर्ल्ड कप ट्रॉफी हाथ से निकल गई. कोच राहुल द्रविड़ से लेकर कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे बड़े खिलाड़ियों पर भी एडवर्टाइजमेंट में व्यस्त रहने के आरोप लग रहे हैं. फैंस यह भी लिख रहे हैं कि पैसा कमाने के चक्कर में भारतीय खिलाड़ी वर्ल्ड कप फाइनल में गेम प्लानिंग सही से करना भूल गए.


वर्ल्ड कप 2023 में हार के बाद फैंस की ओर से इस तरह के रिएक्शन स्वाभाविक हैं. दरअसल, मैचों के दौरान वह पूरे वक्त खिलाड़ियों के एड जो देखते रहते हैं. ऐसे में जब ट्रॉफी दूसरी टीमें उठाती हैं तो उनका इस तरह भड़कना ज्यादा गलत भी नहीं कहा जा सकता. फिर एक बात तो सही भी है कि फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम की गेम प्लानिंग में कमी साफ तौर पर जाहिर हो रही थी.


ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले कमजोर थी टीम इंडिया की गेम प्लानिंग
पहले बल्लेबाजी करने के दौरान विराट और केएल राहुल की धीमी साझेदारी से ऐसा लगा कि शायद भारतीय टीम मान बैठी थी कि 250 का स्कोर अहमदाबाद की पिच पर विनिंग स्कोर होगा. तीन विकेट खोने के बाद तो भारतीय बल्लेबाज आखिरी तक ऐसे खेले जैसे पिच पर रन बनाना बेहद मुश्किल हो, जबकि ऐसा नहीं था. पहली पारी में तो पिच पर स्पिनर्स को टर्न तक नहीं मिल रहा था. फिर गेंदबाजी के दौरान भी भारतीय बॉलर्स हर कहीं बॉलिंग कर रहे थे यानी कंगारू बल्लेबाजों और मैदान की बड़ी बाउंड्रीज़ के हिसाब से यह साफ नहीं था कि किसके सामने कैसी गेंदबाजी करनी है. 


इसके उलट ऑस्ट्रेलिया का गेम प्लान बेहत मजबूत था. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने ज्यादातर गेंदें शॉर्ट लेंथ एरिया में रखी और इसी पर विकेट भी निकाले. कंगारू टीम की फील्ड प्लेसिंग भी ऐसी थी कि भारतीय बल्लेबाज बाउंड्री तक नहीं जड़ पा रहे थे. पैट कमिंस ने हर भारतीय बल्लेबाज के सामने अलग-अलग गेंदबाजों को अलग-अलग तरह की जिम्मेदारियां भी सौंप रखी थी. कुल मिलाकर ऑस्ट्रेलिया पूरी गेम प्लानिंग के साथ मैदान में उतरी थी. वहीं शायद भारतीय टीम रणनीतिक मामले में ऑस्ट्रेलिया से बहुत ज्यादा पीछे थी.


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