यानि के इंग्लैंड में मई में शुरु होने वाले विश्वकप से पहले अंतराष्ट्रीय स्तर पर ये भारत की आखिरी वनडे सीरीज़ थी. इस हार के बाद देशभर में गुस्सा है कि इस तरह से कैसे टीम इंडिया विश्वकप 2019 में विजयी धवज लहरा पाएगी. लेकिन 'वाह क्रिकेट' की टीम आज आपके सामने एक ऐसा आंकड़ा लेकर आई है जो भारतीय फैंस के मुरझाए चेहरों पर खुशियां लेकर आ सकता है.
जी हां, अब हम आपको बताते हैं कि इस हार के बावजूद कैसे टीम इंडिया इस आंकड़े के आधार पर विश्व जीत सकती है. इसके लिए हमें सबसे पहले अपने पिछली दो विश्वकप जीत की ओर बढ़ना होगा. आइये जानें
1983 विश्वकप से पहले आखिरी सीरीज़:
1983 में इंग्लैंड में कपिल देव की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार विश्वकप जीतकर इतिहास रचा था. लेकिन शायद ही किसी भारतीय क्रिकेट फैन के ज़हन में हो कि उससे ठीक पहले वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टीम इंडिया को 2-1 से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
2011 विश्वकप से पहले सीरीज़:
2011 में भारतीय सरज़मीं पर क्रिकेट का आयोजन किया गया था. एमएस धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 1983 के बाद दूसरी बार विश्वकप का खिताब जीत इतिहास रचा था. लेकिन उससे ठीक पहले भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका में शिकस्त झेलकर लौटी थी.
इस सीरीज़ में हार के बाद भी देश में ऐसा ही माहौल था जैसा आज है, लेकिन धोनी की सेना ने इसके बाद विश्वकप फाइनल में श्रीलंका को पटखनी देकर इतिहास रच दिया.
2003 विश्वकप से पहले की बात:
दरअसल 1983 और 2011 के बाद विश्वकप क्रिकेट में भारत का तीसरा सबसे सफल प्रदर्शन दक्षिण अफ्रीका में खेले गए 2003 विश्वकप में रहा. जहां पर सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया फाइनल तक का सफर तय कर पाई.
इस विश्वकप को भी भारत के सबसे सफलतम विश्वकप में से एक माना जाता है. लेकिन इससे पहले भी टीम इंडिया अपनी आखिरी द्वीपक्षीय सीरीज़ को गंवा बैठी थी. भारतीय टीम ने इससे पहले न्यूज़ीलैंड का दौरा किया था. जहां पर टीम इंडिया को 7 मैचों की वनडे सीरीज़ में 5-2 से हार का सामना करना पड़ा था.
ये सभी आंकड़े बताते हैं कि विश्वकप से पहले खेली गई सीरीज़ में हार के बावजूद भी भारतीय फैंस को विश्वकप को लेकर निराश होने की ज़रूरत नहीं है. क्योंकि टीम इंडिया विश्वकप में कैसा खेलती है टूर्नामेंट में उस बात पर भारत की हार-जीत निश्चित रहेगी.