IND vs SA Centurion Test: साउथ अफ्रीका के दौरे पर गई टीम इंडिया का इस बार भी टेस्ट सीरीज जीतने का सपना टूट गया है, क्योंकि भारतीय टीम टेस्ट सीरीज का पहला मैच हार चुकी है. साउथ अफ्रीका के सेंचुरियन में हुए इस मैच में टीम इंडिया को मेज़बान टीम ने पारी और 35 रनों से करारी शिक्सत दी है.


इस हार के बाद सोशल मीडिया पर फैन्स का कहना है कि क्या टीम इंडिया ने इस टेस्ट मैच के दौरान अपने दो दिग्गज चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे को मिस किया है? वहीं, फैन्स के मन में निराशा के साथ एक और सवाल है कि क्या सेंचुरियन टेस्ट मैच में बहुत ज्यादा युवाओं पर भरोसा करना टीम इंडिया को महंगा पड़ गया? आइए हमलोग इसी टॉपिक पर बात करते हैं.


क्या पुजारा और रहाणे की कमी खली?


दरअसल, भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं ने साउथ अफ्रीका में होने वाली टेस्ट सीरीज के लिए पिछले करीब एक दशक से भी ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा और अंजिक्य रहाणे को ड्रॉप कर दिया था, क्योंकि उनका करंट फॉर्म अच्छा नहीं था. अजित अगरकर की अगुवाई वाली सिलेक्शन कमेटी ने साउथ अफ्रीका में होने वाली टेस्ट सीरीज के लिए पुजारा और रहाणे की जगह यशस्वी जायसवाल, और श्रेयस अय्यर को टीम में शामिल किया, और ये दोनों खिलाड़ी सेंचुरियन टेस्ट मैच की दोनों पारियों में कुछ खास नहीं कर पाए, जिसका नुकसान टीम इंडिया को मैच गंवाकर चुकाना पड़ा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस मैच में टीम को पुजारा और रहाणे जैसे खिलाड़ियों की कमी महसूस हुई? क्या इस टीम में अनुभव की काफी कमी थी?


इन सभी सवालों के सही जवाब तो टीम इंडिया के कोच या कप्तान रोहित शर्मा ही सही दे सकते हैं, लेकिन हमें मैच देखकर ऐसा लगा कि सेंचुरियन टेस्ट मैच में उतरी टीम इंडिया के प्लेइंग इलेवन में अनुभव की कमी थी. अगर पुजारा और रहाणे मध्यक्रम में होते तो शायद बात कुछ और हो सकती थी. ऑस्ट्रेलिया के पिछले दौरे के दौरान भी पुजारा फॉर्म में नहीं थे, लेकिन सिडनी टेस्ट मैच को ड्रॉ कराने और फिर गाबा टेस्ट मैच में टीम इंडिया को जीत दिलाने में पुजारा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वो ठीक वैसी ही भूमिका सेंचुरियन टेस्ट मैच में भी निभा सकते थे.


क्या युवाओं के भरोसे रहना पड़ा महंगा?


इसके अलावा अजिंक्य रहाणे ने तो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मैच में बतौर उप-कप्तान वापसी की, और उस मैच में टीम इंडिया की ओर से सबसे ज्यादा रन भी बनाए थे. डब्लूटीसी फाइनल के बाद रहाणे ने सिर्फ वेस्टइंडीज दौरे पर टेस्ट मैच खेला था, तो उन्हें अगर ड्रॉप करना था, फिर डब्लूटीसी फाइनल में क्यों वापस बुलाया गया था? अगर रहाणे ने डब्लूटीसी फाइनल में अच्छी बल्लेबाजी की, तो उन्हें आगे मौका क्यों नहीं दिया गया?


साउथ अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन के मैदान जायसवाल, गिल, श्रेयस, और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे 4-4 युवा और नए खिलाड़ियों को एक साथ उतारने का फैसला सही था? क्या सिलेक्शन कमेटी को पुजारा, रहाणे और हनुमा विहारी जैसे टेस्ट स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों के विकल्पों के साथ टीम का चयन नहीं करना चाहिए?


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