उत्तराखंड राज्य क्रिकेट संघ से विवाद के बाद कोच का पद छोड़ने वाले वसीम जाफर के मामले में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि, इस मामले में शिकायत मिलने पर उचित कार्रवाई की जाएगी. जाफर ने कोच का पद क्यों छोड़ा और उनपर जो भी आरोप लग रहे हैं इन सब पर यदि शिकायत मिलती है तो छानबीन जरूर की जाएगी. हल्द्वानी में शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान जब इस मामले पर मुख्यमंत्री से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "अभी तक दोनों ही पक्षों में से किसी ने भी इस मसले पर उनसे शिकायत नहीं की है. कुछ लोगों ने मुझसे मिलकर इस मामले को उठाया था. लेकिन अब तक कोई आधिकारिक शिकायत नहीं मिली है. यदि कोई शिकायत मिलती है तो मामले की जांच जरूर होगी."



उत्तराखंड राज्य क्रिकेट संघ के अधिकारी कर चुके हैं मुलाकात 


गौरतलब है कि, राज्य क्रिकेट संघ के कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी, उपाध्यक्ष संजय रावत और संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा ने रविवार को देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की थी. जहां जाफर विवाद पर भी बात हुयी थी. इसके बाद तीनों ही सदस्यों ने क्रिकेट संघ के अध्यक्ष को पत्र लिख मामले में जांच को लेकर उच्च समिति की बैठक की बात कही थी. राज्य क्रिकेट संघ के एक अधिकारी के अनुसार जाफर द्वारा लगाए गए आरोप बेहद संगीन हैं और इस पर अंदरूनी जांच होना ज़रूरी है.


क्या है विवाद  


जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट संघ को भेजे ई-मेल में लिखा, "मैं बहुत दुखी मन के साथ आप सभी को सूचित कर रहा हूं कि मैं तत्काल प्रभाव से उत्तराखंड क्रिकेट टीम के मुख्य कोच के पद से इस्तीफा दे रहा हूं. राज्य के इन प्रतिभावान खिलाड़ियों के पास असीम संभावनाएं हैं और मैं इनके लिए बेहद दुखी हुं. मैं इन्हें बहुत कुछ सिखाना चाहता था लेकिन खिलाड़ियों के चयन के लिए चयनकर्ताओं और सचिवों के हस्तक्षेप की वजह से उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा है. उत्तराखंड क्रिकेट टीम के मानद सचिव अगर इस तरह के काम के माहौल को विकसित करना चाहते हैं जिसमें मुझे टीम के कल्याण और प्रदर्शन से संबंधित कुछ निर्णय नहीं लेने देंगे, तो मेरे लिए मुख्य कोच के रूप में बने रहने का कोई कारण नहीं है."


सीएयू के सचिव माहिम वर्मा कर चुके हैं जाफर के दावों को खारिज 


सीएयू के सचिव माहिम वर्मा हालांकि जाफर के दावों को सिरे से खारिज कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि "जाफर की बातें बेबुनियाद हैं. राज्य टीम का कोच होने के नाते उन्होंने जिस भी चीज की मांग की थी उन्हें वह सब कुछ उपलब्ध कराया गया था. सत्र की शुरुआत से पहले उन्हें एक महीने का शिविर लगाने की अनुमति भी दी गयी. इसके अलावा हमनें उन्हें अपनी पसंद के बाहरी खिलाड़ियों, प्रशिक्षक और गेंदबाजी कोच का चयन करने दिया, लेकिन चयन को लेकर उनका हस्तक्षेप बहुत अधिक हो रहा था."  वर्मा ने कहा कि "उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड जाफर के कोच रहते सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में टीम के प्रदर्शन से खुश नहीं था. इसके बाद टीम के चयनकर्ता कुछ अन्य खिलाड़ियों को आजमाना चाहते थे, लेकिन जाफर अपनी टीम चुनने पर जोर देते रहे, जो सही नहीं हैं क्योंकि चयनकर्ता भी अपना काम करने ही बैठे हैं."


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