श्रीलंका के पूर्व महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के अनुसार मौजूदा दौर में एक सिर्फ भारतीय स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ही टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट के उनके रिकॉर्ड के करीब पहुंच सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि नाथन लियोन के अंदर इस स्थान तक पहुंचने की काबिलियत नहीं है. अपनी उंगलियों पर बल्लेबाजों को नचाने वाले मुरलीधरन के नाम टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक 800 विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज हैं.  उनके बाद ऑस्ट्रेलिया के महान लेग स्पिनर शेन वॉर्न 708 विकेट के साथ दूसरे और भारतीय लेग स्पिनर अनिल कुंबले 619 शिकार के साथ तीसरे स्थान पर मौजूद हैं.


अश्विन के अलावा किसी गेंदबाज में नहीं दिखती ये काबिलियत 


मुरलीधरन ने लंदन के ‘टेलीग्राफ ’ अखबार में छपे, इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी माइकल वॉन के कॉलम में कहा,‘‘ अश्विन एक बेहतरीन गेंदबाज है. उनके पास मेरे रिकॉर्ड को तोड़ने का भरपूर मौका है. मुझे नहीं लगता उनके अलावा कोई और गेंदबाज 800 विकेट के आँकड़े तक पहुंच सकता है. नाथन लियोन में मुझे वहां पहुंचने की काबिलियत नहीं दिखती। हालांकि वह अभी 400 विकेट के करीब है लेकिन मुझे लगता है वहां तक पहुंचने के लिये उसे अभी काफी मैच खेलने होंगे.’’ अश्विन ने अब तक अपने करियर के 74 टेस्ट में 377 विकेट लिये हैं जबकि लियोन 99 टेस्ट में 396 विकेट ले चुके हैं.


टी20 क्रिकेट से बदल गया है सब कुछ


मुरलीधरन ने कहा ,‘‘ टी-20 के आने के बाद से ही क्रिकेट के खेल में कई बदलाव आ गए हैं. मेरे खेलने के दौर में बल्लेबाजों की तकनीक बेहद मजबूत होती थी. साथ ही विकेट भी बेहद सपाट होते थे. लेकिन अब खेल बहुत बदल गया है, तीन दिन में ही मैच का नतीजा आ जा रहा है. मेरे समय में नतीजे लाने में काफी मेहनत करनी पड़ती थी. हमें अपनी गेंदबाजी में फिरकी का कमाल दिखाने के लिये भी अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते थे. आजकल बल्लेबाज टिक कर खेलने की बजाय आक्रामक क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं. गेंदबाज अगर लाइन और लैंग्थ पकड़े रहे तो ही उसे पांच विकेट मिल ही जाते हैं."


डीआरएस के आने से हुआ है फ़ायदा 


अपने समय में वॉर्न, कुंबले, सकलेन मुश्ताक, मुश्ताक अहमद और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज गेंदबाजो के साथ खेल चुके मुरलीधरन ने कहा कि डीआरएस के आने के बाद गेंदबाजों को काफी फायदा हुआ है. उन्होंने कहा, "यदि मेरे समय में डीआरएस होता तो मेरे नाम और भी ज़्यादा विकेट होते. क्योंकि तब बल्लेबाज काफी आसानी से अपने पैड का इस्तेमाल कर लेते थे और उन्हें संदेह का लाभ मिल जाता था. "


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