घर में रखा सोना बेचना चाहते हैं? पहले चेक कर लें ये चीजें, नहीं तो जौहरी लगा देगा चूना
भारत में सोना सिर्फ गहना नहीं बल्कि भरोसेमंद निवेश भी माना जाता है. हालांकि जब फिजिकल गोल्ड बेचने की बारी आती है. तो जानकारी की कमी लोगों को महंगे नुकसान में डाल देती है. कई बार जौहरी शुद्धता, वजन या रेट को लेकर लोगों को बातों में फंसा कर कम कीमत पर सौदा कर लेते हैं.
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि आपके पास किस तरह का सोना है. ज्वेलरी की कीमत सिर्फ डिजाइन से तय नहीं होती. उसकी शुद्धता, हॉलमार्क और कस्टम वर्क भी अहम होते हैं. हॉलमार्क वाली ज्वेलरी पर आमतौर पर बेहतर रेट मिलता है, जबकि बिना हॉलमार्क वाले गहनों में शुद्धता जांच के नाम पर कटौती की जाती है.
सोना बेचते समय उसकी कीमत तीन चीजों से तय होती है. पहला कैरेट यानी शुद्धता, दूसरा शुद्ध वजन और तीसरा उस दिन का बाजार भाव. मेकिंग चार्ज और स्टोन की कीमत, जो खरीदते वक्त दी जाती है, बिक्री के समय नहीं मिलती. इसलिए कैलकुलेशन हमेशा शुद्ध सोने की वैल्यू पर ही होती है.
image 4अब सवाल आता है कि सोना कहां बेचना फायदेमंद रहेगा. लोकल ज्वेलर्स आसानी से खरीद लेते हैं. लेकिन भाव कम दे सकते हैं. वहीं MMTC PAMP, Attica Gold और GoldMax जैसे ब्रांडेड बायर्स एक्स रे जांच के बाद पारदर्शी रेट देते हैं. कुछ ज्वेलरी ब्रांड्स बायबैक भी करते हैं, लेकिन शर्तों के साथ.
सोना बेचने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें. हर दिन का गोल्ड रेट जरूर चेक करें, क्योंकि शहर के हिसाब से भाव बदलता है. शुद्धता की जांच BIS सर्टिफाइड लैब से कराएं. एक से ज्यादा जगह रेट पूछें और तुलना करें. गहनों में लगे स्टोन अलग करवा लें. क्योंकि उनकी कीमत नहीं मिलती.
सोना बेचते वक्त पहचान से जुड़े दस्तावेज जरूरी होते हैं. आमतौर पर आधार या पैन कार्ड मांगा जाता है. अगर आपके पास बिल या हॉलमार्क सर्टिफिकेट है. तो जरूर साथ ले जाएं. इससे भरोसा बढ़ता है और बेहतर रेट मिल सकता है. सही जानकारी ही आपको जौहरी के चूने से बचा सकती है.