पिता ने बेटी के नाम कर दी सारी प्रॉपर्टी, क्या बेटा अदालत में कर सकता है चैलेंज?
प्रॉपर्टी को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि क्या पैरेंट्स को पूरा हक है कि वो अपनी प्रॉपर्टी सिर्फ एक बच्चे के नाम कर दें. सोसाइटी में इस पर अलग-अलग राय हैं. कुछ लोग इसे पर्सनल चॉइस मानते हैं. जबकि कुछ इसे बाकी बच्चों के साथ नाइंसाफी मानते हैं.
कई बार जब पिता पूरी प्रॉपर्टी बेटी के नाम कर देते हैं. ऐसे हालात में बेटे सोचने लगते हैं कि क्या उनका अधिकार खत्म हो गया है. उनके लिए सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि क्या वह इस फैसले को कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं.
तो आपको बता दें अगर पिता सब कुछ बेटी के नाम कर दें. तो क्या बेटा इसे लीगली रोक सकता है? इसका जवाब अलग-अलग सिचुएशन के हिसाब से अलग-अलग. यानी प्रॉपर्टी किस तरह की है यह फैसला इस बात पर डिपेंड करता है.
कानून साफ कहता है कि अगर प्रॉपर्टी पिता की खुद की मेहनत की है. तो उन्हें पूरा हक है कि इसे अपनी मर्ज़ी से किसी को भी दें. बेटे और बेटी के बीच यहां कोई फर्क नहीं है. मतलब बेटा चाहकर भी इस फैसले को कोर्ट में चैलेंज नहीं कर पाएगा.
लेकिन अगर प्रॉपर्टी पैतृक है यानी फैमिली की शेयर की हुई जमीन या घर है तो यहां मामला बदल जाता है. इस तरह की प्रॉपर्टी में हर लीगल वारिस का बराबर का हक होता है. ऐसे केस में बेटा कोर्ट जा सकता है और वहां अपना हिस्सा क्लेम कर सकता है.
यानी कुलमिलाकर बेटा तभी कोर्ट में चैलेंज कर सकता है जब प्रॉपर्टी पैतृक हो. लेकिन अगर वो पिता की खुद की कमाई हुई है. तो बेटा इसमें कुछ नहीं कर सकता. उसे चुपचाप अपने पिता का फैसला स्वीकार करना पड़ेगा. उसके पास कोई भी लीगल ऑप्शन नहीं होगा.