Chandra Grahan 2025: चंद्र ग्रहण में तुलसी और कुशा का महत्व जान लें, नहीं पड़ता अशुभ असर
7 सितंबर को चंद्र ग्रहण भारत में रात 9.58 पर दिखाई देगा और देर रात 1.26 पर समाप्त होगा.
पुराणों के अनुसार चंद्र ग्रहण पर राहु का बेहद सक्रिय हो जाता है, नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है. ऐसे में सूतक से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक तुलसी दल बहुत उपयोगी होता है. तुलसी का पौधा हो या तुलसी दल ग्रहण की अशुभता से बचाने में कारगर माना गया है.
तुलसी का पत्ता तोड़कर दूध में, जल में, भगवान के पास बचे हुए भोजन में डाल दें तो वो चीज सूर्य ग्रहण के दौरान अशुद्ध नहीं मानी जाती है, उनकी शुद्धता बनी रहती है.
चंद्र ग्रहण के दिन गमले में लगा तुलसी का पौधा घर के मध्य में रख दें, कहते हैं इसके प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती और सकारात्मकता बनी रहती है. ये कार्य सूतक लगने से पहले करें.
वैज्ञानिक तर्क के अनुसार तुलसी के पत्तों में पारा मौजूद होता है. पारा में किसी प्रकार की किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मान्यता है कि ग्रहण के समय आकाश और ब्रह्मांड से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा तुलसी के पास आते ही निष्क्रिय हो जाती है.
वहीं माना जाता है कि कुशा मां सीता के केश से बनी है वहीं दूसरी मान्यता अनुसार भगवान विष्णु के वहाह अवतार के दौरान उनकी झड़े हुए बालों से कुशा की उत्पत्ति हुई. इसलिए इसी बेहद पवित्र माना जाता है. ग्रहण काल में तुलसी के साथ-साथ हर वस्तु में कुश डालने की भी मान्यता है.
ग्रहण दोष से बचाव के लिए पुरुष अपने कान के ऊपर कुशा का तिनका लगा सकते हैं वहीं महिलाएं अपनी चोटी में इसे धारण करके रखें. कुशा की पवित्री उन लोगों को जरूर धारण करनी चाहिए, जिनकी राशि पर ग्रहण पड़ रहा है.