क्या परमाणु हथियारों को रोक सकते हैं मिसाइल और डिफेंस सिस्टम? जानिए वो सच जो ज़्यादातर लोग नहीं जानते
मिसाइल डिफेंस सिस्टम ऐसे रक्षा उपकरण होते हैं जो दुश्मन द्वारा दागी गई बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता रखते हैं. ये सिस्टम रडार से मिसाइल को ट्रैक करते हैं फिर एक इंटरसेप्टर मिसाइल दागते हैं जो दुश्मन की मिसाइल को बीच रास्ते में ही मार गिराती है.
भारत के पास भी DRDO द्वारा विकसित Ballistic Missile Defence (BMD) सिस्टम है, जिसमें दो परतें होती हैं एक हाई एल्टीट्यूड इंटरसेप्टर और दूसरी लो एल्टीट्यूड इंटरसेप्टर जो 150 किमी और 30 किमी की ऊंचाई तक मार कर सकते हैं.
तकनीकी रूप से हां लेकिन व्यावहारिक रूप से यह 100% गारंटी नहीं देता. परमाणु हथियार बहुत तेज़ और ऊंचाई पर चलते हैं. कई बार ये Multiple Warheads (MIRVs) लेकर आते हैं यानी एक मिसाइल से कई बम निकलते हैं जो अलग-अलग टारगेट पर गिरते हैं. इस वजह से उन्हें ट्रैक करना और भी मुश्किल हो जाता है.
इसके अलावा, आज के हमलावर देश decoys (झूठे लक्ष्यों) और stealth technology का इस्तेमाल करते हैं ताकि डिफेंस सिस्टम भ्रमित हो जाए. यानी एक मिसाइल को असली समझकर सिस्टम उसे रोकने में व्यस्त हो जाए और असली वारहेड बचकर निकल जाए.
अमेरिका के पास THAAD और GMD जैसे अत्याधुनिक सिस्टम हैं. इज़राइल का आयरन डोम कम दूरी की मिसाइलों को रोकने में माहिर है. रूस के पास S-400 और अब S-500 सिस्टम हैं, जो हाई-स्पीड मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकते हैं. भारत भी अपने दो-स्तरीय BMD के अलावा रूस से S-400 खरीद चुका है.
सच्चाई ये है कि कोई भी देश अभी तक पूरी तरह परमाणु हमले से सुरक्षित नहीं है. मिसाइल डिफेंस सिस्टम ज़रूर एक बड़ी सुरक्षा परत हैं, लेकिन ये अंतिम उपाय नहीं हैं. अगर दुश्मन एक साथ दर्जनों मिसाइलें दाग दे, तो किसी भी सिस्टम की क्षमता जवाब दे सकती है. इसके अलावा अगर इंटरसेप्टर थोड़ी भी चूक कर जाए, तो पूरा शहर तबाह हो सकता है.