फोन से चिपके रहते हैं? बस ये 5 छोटे बदलाव कर लें, 72 घंटे में खुद महसूस करेंगे हैरान करने वाला फर्क
इसी समस्या को देखते हुए आजकल डिजिटल डिटॉक्स की बात होने लगी है. इसका मतलब यह नहीं है कि आपको टेक्नोलॉजी से पूरी तरह दूरी बना लेनी है बल्कि जरूरत है संतुलन की. सही तरीके से फोन का इस्तेमाल करके भी इस लत को काफी हद तक कम किया जा सकता है. कुछ छोटे-छोटे बदलाव अपनाने से ही इसका असर शुरुआती 72 घंटों में महसूस होने लगता है.
सबसे पहले जरूरी है कि आप खुद को फोन से दूर रखने की आदत धीरे-धीरे डालें. अचानक फोन पूरी तरह छोड़ देना ज्यादातर लोगों के लिए संभव नहीं होता इसलिए दिन में कुछ तय समय के लिए फोन से दूरी बनाना शुरू करें. इस दौरान फोन को साइलेंट या स्विच ऑफ करके अलग रख दें और खुद को किसी और गतिविधि में व्यस्त करें. शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल लग सकता है लेकिन कुछ ही दिनों में दिमाग इस बदलाव को स्वीकार करने लगता है और फोन की जरूरत कम महसूस होने लगती है.
इसके साथ ही अपने फोन में मौजूद ऐप्स पर भी ध्यान देना जरूरी है. अक्सर इंस्टाग्राम, यूट्यूब या शॉर्ट वीडियो ऐप्स सबसे ज्यादा समय खा जाते हैं. जब ये ऐप्स होम स्क्रीन पर सामने दिखते हैं तो बिना सोचे-समझे उन पर क्लिक हो जाता है. इन्हें होम स्क्रीन से हटाकर या फोन में मौजूद डिजिटल वेलबीइंग जैसे फीचर्स से इनका इस्तेमाल सीमित करके इस आदत को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. जब स्क्रीन पर बार-बार वही ऐप्स नजर नहीं आते तो दिमाग भी उन्हें उतनी प्राथमिकता नहीं देता.
रात में फोन की वजह से नींद खराब होना आज एक आम समस्या बन चुकी है. अक्सर लोग यह समझ ही नहीं पाते कि कब आधी रात हो गई. इससे बचने के लिए फोन बंद करने का एक तय समय बनाना बेहद जरूरी है. यह समय ऐसा हो जब उसके बाद फोन की ज्यादा जरूरत न पड़े. तय समय के बाद फोन को बंद करके अलग रख देने से न सिर्फ नींद बेहतर होती है बल्कि दिमाग को भी आराम मिलता है.
फोन बार-बार चेक करने की एक बड़ी वजह नोटिफिकेशन भी होते हैं. हर कुछ मिनट में बजने वाली आवाज या स्क्रीन पर चमकती लाइट ध्यान भटकाती रहती है. ऐसे में गैरजरूरी ऐप्स के नोटिफिकेशन बंद कर देना एक असरदार कदम हो सकता है. जब फोन बार-बार ध्यान नहीं खींचेगा तो उसे उठाने की आदत भी धीरे-धीरे कम हो जाएगी.
इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपको स्मार्टफोन पूरी तरह छोड़कर पुराने जमाने के फीचर फोन पर जाना होगा. आप चाहें तो दिन के कुछ घंटों के लिए कीपैड फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर सिर्फ जरूरी कॉल और मैसेज के लिए फोन पास रखें. कुछ लोग जरूरी नोटिफिकेशन के लिए स्मार्टवॉच का सहारा भी लेते हैं ताकि फोन हाथ में लिए बिना जरूरी जानकारी मिलती रहे.
अगर आप इन बदलावों को ईमानदारी से अपनाते हैं तो तीन दिन के भीतर फर्क साफ नजर आने लगता है. स्मार्टफोन से दूरी बनाने पर दिमाग में होने वाले केमिकल बदलाव आपके मूड और इमोशन को बेहतर बनाने लगते हैं. रिसर्च बताती है कि डिजिटल डिटॉक्स से दिमाग के उन हिस्सों पर सकारात्मक असर पड़ता है, जो खुशी और संतुलन से जुड़े होते हैं. यही वजह है कि सिर्फ 72 घंटे का यह बदलाव भी दिमाग को एक तरह से रीबूट कर देता है. अगर इसे आदत बना लिया जाए तो न सिर्फ मानसिक शांति बढ़ती है बल्कि जीवन की क्वालिटी भी बेहतर हो जाती है.