Dev Deepawali 2021: देव दीपावली पर काशी से लेकर हरिद्वार की पौड़ी के घाट दीपों की रोशनी से नहाए, तस्वीरों में देखें अद्भुत नजारा
देव दीपावली के अवसर पर उत्तर प्रदेश में वाराणसी के घाट और हरिद्वार में हर की पौड़ी घाट दीपों से जगमग नजर आ रहे हैं. देवताओं की दीवाली कही जाने वाली देव दीपावली पर जहां हरिद्वार में हरकी पैड़ी और आसपास के घाटों की सीढ़ियां 11 हजारों दीपों की रौशनी से जगमगा उठीं तो वहीं वाराणसी के घाट भी आज देव दीपावली के अवसर पर 15 लाख दीपों की रौशनी से नहा उठेंगे.
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View In Appदेव दीपावली के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने हरिद्वार में हर की पैड़ी पर दीप जलाए.
घाटों पर दीपों की रौशनी अलौकिक छटा बिखेर रही थी. हजारों श्रद्धालु इस अद्भुत पल के गवाह बने.
हर की पौड़ी घाट पर हजारों दीप प्रज्वलित कर श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु और समस्त देवताओं का पूजन किया.
इस वर्ष 11 हजार दीये गंगा घाट पर जलाए गए. इस अद्भुत पल के गवाह बनने के लिए सैंकड़ों लोग घाट पर जमा हुए. गंगा की आरती की गई और फिर गंगा घाट पर आतिशबाजी भी हुई.
कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. दिवाली से ठीक 15 दिन बाद ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली (Dev Deepawali 2021) मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन देवता दिवाली मनाते हैं इसलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है. कहते हैं कि देवता कार्तिक पूर्णिमा के दिन पृथ्वी पर आते हैं और दिवाली मनाते हैं. ये पर्व मुख्य रूप से वाराणसी के गंगा नदी के तट पर मनाया जाता है. धार्मिक महत्व है अनुसार देव दीपावली के दिन देवी-देवता गंगा नदी के तट पर पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं.
देवी-देवताओं के सम्मान के लिए वाराणसी का पूरा घाट मिट्टी के दीयों से सजाया जाता है. रात के समय वहां दीयों से घाट को रोशन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, इस दिन नदी में दीपदान करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है. इसलिए इस साल भी वाराणसी के घाटों पर 15 लाख दीये प्रज्वलित किए जाएंगे.
वाराणसी के घाटों पर आज लेजर शो भी दिखेगा. इसके साथ ही पहली बार कन्याएं मां गंगा की आरती उतारेंगी और 108 किलो फूल से उनका श्रृंगार किया जाएगा. देव दीपावली की रात शिव की नगरी का नजारा देवलोक का आभास कराएगा. घाट, कुंड, गलियां, चौबारे और घर की चौखट दीयों की रोशनी से जगमग होगी.अस्सी से राजघाट तक 84 घाटों के बीच 22 से अधिक जगहों पर गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा.
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