Kota Dussehra Mela: दो साल बाद हुए दशहरे मेले में दिखे अलग-अलग रंग, उमड़ी लाखों की भीड़, देखें तस्वीरें
राष्ट्रीय मेला दशहरा 2022 के तहत रावण के कुनबे को देखने कोटा संभाग के साथ मध्यप्रदेश के सीमावर्ती शहरों से भी लोग कोटा दशहरा मेले को देखने पहुंचे, ये सिलसिला सुबह शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा. शाम को कोटा के राज परिवार ने पारम्परिक रूप से दरीखाने की प्रथा को निभाया. महाराव इज्यराज सिंह ने हाड़ौती के ठिकानेदारों से मुलाकात की, रामा श्यामी हुई.
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View In Appराजसी वैभव वहां पूरे परवान पर था, अपने जमाने के ठिकानेदार वहां अपनी-अपनी पाग (पगडी) पहनकर पहुंचे. बिना पगडी के वहां कोई नहीं था. ऐसे में कोटा दरबार ने सभी को विजयदशमी की शुभकामनांए दी.
यहां से रीति रिवाज के अनुसार भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी के साथ लाव लश्कर सहित कोटा रियासत के पूर्व महाराव इज्यराज सिंह ने पूजा-अर्चना के बाद रावण की नाभी के कलश को तीर से भेदा. इसके बाद देखते ही देखते अहंकारी रावण का कुनबा महज 4.2 मिनट में भस्म होता चला गया.
दो साल बाद रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. आतिशी धमाकों के साथ रावण का कुनबा खाक हो धराशायी हो गया. इस बार रिमोर्ट का प्रयोग भी किया गया. विजयश्री रंगमंच पर करीब पौन घंटे रंगीन आतिशबाजी हुई. लोगों ने इन यादगार पलों को कैमरों में भी कैद किया. 75 फीट रावण व 50-50 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों ने दहन से पहले मैदान में गर्दन घुमाना, तलवार चलाने के करतब दिखाए व खूब अट्टहास किया.
गढ़ पैलेस में दरीखाने की रस्म के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी दशहरा मैदान पहुंची. वहां पूर्व महाराव इज्येराज सिंह ने सीता माता के पाने ज्वारे की पूजा की. रावण के अमृत कलश पर तीर चलाया. पूर्व महाराज इज्यराज सिंह के अमृत कलश फोड़ने के साथ ही 8.10 बजे रावण दहन शुरू हुआ.
इज्यराज सिंह यहां शोभायात्रा के साथ खुली जीप में पहुंचे, हाथी पर भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी चल रही थी, राक्षस, भूत प्रेत, राम, हनुमान, माता काली, वानर, लोककला, कालबेलिया सहित अनेक जीवंत झांकियों को देख लोग इन्हें अपने मोबाइल और कैमरे में कैद करते रहे.
इस बार ग्रीन आतिशबाजी के रंगीन नजारों के साथ अहंकारी रावण का कुनबे सहित दहन हुआ. दहन के दौरान दर्शकों को किसी तरह से कोई व्यवधान न पहुंचे इसके लिए रावण कुनबे के आसपास बेरिकेट्स लगाए. सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त रहे. आतिशबाजी भी रिमोट से नियंत्रित करते हुए चलाई गई. जिससे दर्शकों का रोमांच सातवें आसमान पर पहुंच गया.
पिछले सालों की तुलना में इस साल रावण दहन कार्यक्रम में दर्शक ज्यादा रोमांचित हुए. दहन के बाद होने वाली आतिशबाजी ने भी काफी देर तक दर्शकों को बांधे रखा. पूरा आसमान रंग बिरंगी रोशनी से अटा रहा. इसके साथ ही कई आकृतियां भी बनती बिगड़ती रही.
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