Chhath Puja 2023: जमशेदपुर स्थित सिद्धगोड़ा सूर्य मंदिर के छठ घाट पहुंचे उड़ीसा के राज्यपाल, रघुवर दास ने लिया सुरक्षा का जायजा
इस वर्ष भी लोहे का सेतु बनाया जा रहा है. झरना घाट स्वर्णरेखा नदी किनारे स्थित है, लेकिन घाट और नदी के स्वच्छ जल में जाने से पूर्व क्षेत्र के गंदे पानी का बहाव होने से छठ व्रतियों को पूजा संपन्न कराने में समस्या आती है. जिसे ध्यान में रखते हुए झरना घाट छठ पूजा समिति के बैनर तले क्षेत्र के युवाओं द्वारा 2002 में सेतु बनाने का निर्णय लिया और विगत 20 वर्षों से प्रत्येक वर्ष इसका निर्माण करते आ रहे हैं.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appपूर्व में लकड़ी और बांस की सहायता से पुल बनाया जाता था, लेकिन छठवर्तियों और श्रद्धालुओं की प्रत्येक वर्ष बढ़ते भीड़ जो लगभग 5000 से 10000 की संख्या में होते हैं. उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब लोहे के पाइप से लगभग 100 फीट लम्बा पुल का निर्माण किया गया है.
जिस वजह से सिर्फ बाबूडीह क्षेत्र के ही नहीं आसपास के अन्य बस्तियों के भी छठव्रती सुरेखा नदी के शुद्ध जल और बालू के टापू में संध्या और सवेरे का अर्घ्य देते हैं जो जमशेदपुर के लिए एक अनोखा कार्य है. वैसे समिति की द्वारा भविष्य में प्रशासन के सहयोग से छठ घाट का निर्माण किए गया है.
जमशेदपुर आस्था का महापर्व छठ की संध्या अर्ग पर आज जमशेदपुर स्थित सिद्धगोड़ा सूर्य मंदिर छठ घाट में उड़ीसा के राज्यपाल रघुवर दास पहुंचे, जहां हर साल की भांति इस बार भी भक्तों का सैलाब देखने को मिला. जमशेदपुर का सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है जहां हर साल हजारों भक्त छठ पूजा करने पहुंचते हैं वैसा ही नजारा इस बार भी देखने को मिला जहां विश्व कप का क्रिकेट मैच बड़ी स्क्रीन पर लाइव दिखाया जा रहा था.
जिसका लुफ्त बच्चे बूढ़े भी बैठकर ले रहे थे छठ घाट अत्यधिक भीड़ को देखते हुए कई लोगों ने निजी घरों में छठ करने का इंतजाम किया और किसी ने छत पर बगीचे में और किसी ने कृत्रिम घाट बनाकर सूर्य देवता को अर्घ दिया.
छठ घाट पर हजारों छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख शांति और समृद्धि की कामना की. जिला प्रशासन द्वारा छठ महापर्व को देखते हुए विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए चौक चौराहों पुलिस बल्कि तैनाती की गई, वहीं प्रमुख नदी घाट पर गोताखोर सहित मेडिकल टीम को तैनात किया गया.
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ महापर्व मनाया जाता है. छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. मान्यता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -