Lok Sabha Election 2024 Results
(Source: ABP Cvoter)
Gunung Padang: क्या सच में 27000 साल पुराना पिरामिड इंडोनेशिया में है? एक नजर में देखें तस्वीरें
मिस्र की पिरामिडें अपनी प्राचीनता और ऊंचाई के लिए जानी जाती हैं, लेकि अब कुछ शोधकर्ताओं ने इंडोनेशिया में सबसे पुरानी पिरामिड होने की संभावना जताई है. कुछ शोधकर्ताओं ने इंडोनेशिया के गुनुंग पदांग (Gunung Padang) नामक एक महापाषाण स्थल के लिए प्रस्ताव दिया है जो दुनिया का सबसे पुराना पिरामिड हो सकता है. यह स्थान एक पहाड़ी के नीचे बताया गया है.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appगुनुंग पदांग (Gunung Padang) जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ 'ज्ञान का पर्वत' है. यह पहाड़ी जकार्ता से लगभग चार घंटे दक्षिण में इंडोनेशिया के पश्चिम जावा के सियानजुर में स्थित है. इस स्थान पर कई पत्थर के खंभे और मूर्तियां हैं. यह स्थल लगभग 150,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और एक विलुप्त ज्वालामुखी के शिखर पर स्थित है. स्थानीय लोग इस स्थान को काफी महत्व देते हैं.
गुनुंग पदांग पहाड़ी को कुछ भू-वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के आधार पर पहली शताब्दी का होने का दावा करते हैं. वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पहाड़ी एक पिरामिड का शिरा मात्र है, इसके नीचे बड़ा पिरामिड हो सकता है. भूविज्ञानी डैनी हिलमैन नटविदजाजा के मुताबिक, इस संरचना का मूल 27,000 साल पुराना हो सकता है, जो इसे दुनिया का सबसे पुराना पिरामिड बनाता है.
कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार गुनुंग पदांग पिरामिड में एक छिपा हुआ कक्ष या सुरंग हो सकती है, जो भूमिगत संरचना की ओर ले जाती है. यह संरचना पिरामिड से कहीं अधिक पुरानी और बड़ी हो सकती है. इसमें उस प्राचीन सभ्यता के बारे में रहस्य हो सकते हैं जिसने इसे बनाया था, हालांकि, यह सिद्धांत विवादास्पद है और पुरातात्विक साक्ष्यों द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है. गुनुंग पदांग पिरामिड अभी भी एक रहस्य है जो आगे की खोज और जांच की प्रतीक्षा कर रहा है.
नताविदजाजा और उनके सहयोगियों के अनुसार, गुनुंग पदांग का निर्माण हजारों साल पहले एक प्राचीन सभ्यता द्वारा किया गया था, जिसके पास उन्नत ज्ञान और तकनीक थी. उनका दावा है कि बनाने वालों ने सावधानीपूर्वक लावा की प्राकृतिक पहाड़ी को पिरामिड जैसी आकृति में ढाला और फिर इसे एंडीसाइट पत्थरों की परतों से ढक दिया जो कठोर और टिकाऊ हैं.
गुनुंग पदांग की एक विशेषता यह भी है कि भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन और कटाव के बावजूद यह सुरक्षित है. इसकी संरचना काफी सरल डिजाइन और इंजीनियरिंग के साथ की गई है. इस संरचना में एक जल निकासी सुविधा भी मिली है, जो पानी को जमा होने और नींव को कमजोर करने से रोकती है.
यदि नताविदजाजा और उनकी टीम के दावे सच हैं, तो गुनुंग पदांग का मानव इतिहास कितना वैज्ञानिक रहा होगा. उस दौरान उन्नत तकनीक रही होगी, अगर यह सब सच साबित हो गया तो अभी तक के जो शोध हैं सभी फीके पड़ जाएंगे, क्योंकि अभी तक इतनी पुरानी किसी भी मानव संरचना की खोज नहीं हो सकी है.
कई मुख्यधारा के पुरातत्वविदों और भूवैज्ञानिकों ने गुनुंग पदांग पहाड़ी को बिल्कुल भी पिरामिड नहीं माना है, बल्कि एक प्राकृतिक संरचना मानते हैं. कुछ लोगों ने इस स्थल की खुदाई और संरक्षण के बारे में कानूनी चिंताएं भी उठाई हैं, जो एक सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय लोगों के लिए एक पवित्र स्थान है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -