Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में संसद में घुसे Gen-Z, राष्ट्रपति-मंत्रियो के घर फूंके, सुलगते नेपाल की डरावनी तस्वीरें
नेपाल में सोशल मीडिया बैन को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है. इसने खतरनाक मोड़ ले लिया है. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद सेना और भीड़ आमने-सामने आ गए.संसद भवन के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना दिया गया और हालात काबू में लाने के लिए भीड़ पर बल प्रयोग और हवा में गोलियां चलाई गईं.
काठमांडू के भैंसेपाटी इलाके में मंत्रियों के आवासों की ओर बढ़ते प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना ने छह हेलीकॉप्टर तैनात किए. इनमें से कुछ हेलीकॉप्टरों से मंत्रियों और उनके परिवारों को सुरक्षित निकाला गया. इसी दौरान भीड़ ने कई आवासीय क्वार्टरों में आग लगा दी.
प्रदर्शनकारियों की आक्रामकता इतनी बढ़ गई कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन पर भी आगजनी कर दी. वहीं, सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें सामने आईं कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी एयरलिफ्ट कर बाहर ले जाया जा सकता है.
नेपाल में हालात को देखते हुए सुरक्षा बलों ने कड़े कदम उठाए, लेकिन हिंसा ने पहले ही गहरा असर डाल दिया. सोमवार को हुई झड़प में कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए.
लगातार बिगड़ते हालात और हिंसा के बीच सरकार के भीतर भी असंतोष दिखने लगा है. कृषि और पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने 9 सितंबर को इस्तीफा दिया. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए उसने दमन और गोलीबारी का रास्ता चुना.
गृह मंत्री रमेश लेखक ने भी 8 सितंबर की शाम इस्तीफा दे दिया. उन्होंने हिंसा में हुई मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए यह कदम उठाया.इससे साफ है कि विरोध सिर्फ सड़कों पर ही नहीं, बल्कि सत्ता के गलियारों में भी असर डाल रहा है.
नेपाली मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने प्रधानमंत्री ओली से पद छोड़ने की मांग की है. उनका कहना था कि जब तक राजनीतिक नेतृत्व जिम्मेदारी नहीं लेता, सेना हालात संभाल नहीं पाएगी.इस बीच, ओली ने शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई और सभी दलों से समाधान पर चर्चा का आह्वान किया.
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि हमारे युवाओं को शांति से अपनी बात रखनी चाहिए थी, लेकिन दुर्भाग्य से हालात हिंसक हो गए. अब हमें मिलकर रास्ता खोजना होगा.
नेपाल सरकार ने काठमांडू, ललितपुर और भक्तापुर में कर्फ्यू लागू कर दिया है. इसके बावजूद, Gen-Z प्रदर्शनकारी लगातार सड़कों पर जुट रहे हैं. उनका मुख्य आक्रोश भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ है.
काठमांडू पोस्ट और हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विरोध अब सिर्फ एक नीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवा पीढ़ी और सरकार के बीच टकराव का प्रतीक बन चुका है.