अखबार बेचे, जोमैटो से खाना डिलीवर किया, फिल्म के हीरो से कम नहीं यासीन मोहम्मद के जज बनने की कहानी
यासीन शान मोहम्मद ने बचपन से ही दो वक्त की रोटी के लिए जद्द-ओ-जहद देखी. बचपन से उन्होंने घर घर अखबार डिलीवर किए तो कभी दूध डिलीवर किए. बड़े होकर कॉलेज में आए तो जोमेटो और स्विगी में फूड डिलीवरी बॉय का काम किया.
यासीन शान मोहम्मद की मां भी आशा कार्यकर्ता के रूप में काम करती तो कभी दिहाड़ी मजदूर की तरह काम करती. उनके हौसले कभी डिगे नहीं, वे लगातार अपनी पढ़ाई करते रहे और सफलता का परचम लहराया कि युवा उनके फैन हो गए हैं.
ये भी जान लेते हैं कि यासीन शान मोहम्मद है कौन. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मां की शादी 14 साल में हो गई थी और 15 साल की उम्र में उन्होंने यासीन शान मोहम्मद को जन्म दिया था, लेकिन 19 साल की उम्र में उनकी मां का तलाक हो गया और भाई के साथ उनकी मां ने दोनों की परवरिश की.
मां को काम करता देख दोनों भाईयों ने भी काम करना शुरू कर दिया.स्कूल की पढ़ाई के दौरान यासीन ने अखबार और दूध डिलीवरी का काम किया. कॉलेज में स्विगी और जोमैटो में डिलीवरी का काम किया.
संघर्ष भरे जीवन के साथ ही उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की और फिर पॉलिटेक्निक से इलेक्ट्रिकल में डिप्लोमा किया. इसके बाद उनको गुजरात में एक छोटी सी नौकरी मिली. 1 साल हगुजरात में काम करने के बाद वे केरस वापस आ गए. यहां लोक प्रशासन में ग्रेजुएशन किया फिर लॉ की पढ़ाई करने के बारे में सोचा.
लॉ की पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाई, जिससे उनकी मां को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े. लॉ की पढ़ाई के बाद केरल में बतौर वकील अपने आप को रजिस्टर करवाया. इस दौरान उनके दोस्तों ने भी उनका साथ कभी नहीं छोड़ा. उनको हमेशा प्रेरित किया.
इसी प्रेरणा के साथ उन्होंने जुडिशरी की तैयारी करनी शुरू कर दी. तैयारी के दौरान उनका पहले अटेंप्ट फेल हो गया, लेकिन उन्होंने संघर्ष जारी रखा. दूसरे अटेंप्ट में उन्होंने पूरे राज्य में दूसरा रैंक हासिल किया.