Mahakumbh 2025: तक्षक मंदिर का क्या है इतिहास, जिसके बिना अधूरा रहता है कुंभ स्नान
प्रयागराज में एक ऐसा तीर्थ है जिसके दर्शन के बिना यहां आना अधूरा माना जाता है. ये तीर्थ दरियाबाद मोहल्ले में स्थित अति प्राचीन तक्षक तीर्थ मंदिर है. ये मंदिर धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और कई पुराणों में इसका उल्लेख किया गया है विशेष रूप से पद्म पुराण में.
तक्षक तीर्थ मंदिर का प्रमुख आकर्षण ये है कि यहां नागों के श्रेष्ठ नाग तक्षक विराजमान हैं जिन्हें आदिकालीन तक्षक तीर्थ के रूप में जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में आने से विषबाधा से मुक्ति मिलती है और यहां के दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मान्यता है कि सावन महीने में इस मंदिर में दर्शन करने से विशेष लाभ मिलते है. इसके अलावा अर्ध कुंभ, महाकुंभ या माघ मेले में संगम स्नान के बाद तक्षक तीर्थ मंदिर के दर्शन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इन अवसरों पर श्रद्धालु विशेष रूप से यहां दर्शन के लिए आते हैं.
मंदिर के महंत पंकज दुबे के अनुसार तक्षक तीर्थ मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण के सातवें अध्याय में किया गया है. ये मंदिर कालसर्प योग और राहु की महादशा के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है. महंत पंकज दुबे ने कहा कि कुंभ के मद्देनजर इस मंदिर का सुंदरीकरण भी किया गया है जिससे श्रद्धालुओं को और ज्यादा सुविधा मिल रही है.
ये तक्षक तीर्थ मंदिर यमुना तट पर स्थित है और ये बड़े शिवाला के नाम से भी प्रसिद्ध है. यहां तक्षक नाग के विश्राम करने की कथा प्रचलित है जो मंदिर के महत्व को और भी बढ़ाती है. तक्षक तीर्थ मंदिर का ये स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था और पुण्य की प्रतीक बन चुका है.
श्रद्धालु सुधा दुबे ने बताया “यह मंदिर बहुत पौराणिक है और यहां कालसर्प योग की पूजा होती है. जब हम चारों धाम की यात्रा करके प्रयागराज आते हैं तो तक्षक महराज के दर्शन के बिना हमारी यात्रा अधूरी रहती है. पुराणों में इसका विशेष उल्लेख है.”
कुंभ के मद्देनजर राज्य सरकार ने तक्षक तीर्थ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का सुंदरीकरण कार्य किया है. महंत पंकज दुबे ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ये कदम श्रद्धालुओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है. अब इस तीर्थ स्थल का धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है.