Durga Puja: पुरुलिया पूजा समिति ने बेरोजगार छऊ कलाकारों को दिया आजीविका का अवसर, पंडाल के बाहर करेंगे नृत्य
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के अवसर पर पूजा समिति ने पुरुलिया के छऊ कलाकारों को आजीविका का अवसर दिया. ये सभी कलाकर कोरोना के कारण बेरोजगार थे. भवानीपुर 75 पल्ली दुर्गा पूजा पंडाल ने पुरुलिया के छऊ नर्तकियों से पंडाल के पास प्रदर्शन करने और इस कठिन समय में रोजगार सुनिश्चित करने का आह्वान किया है.
इन छऊ कलाकारों के लिए भवानीपुर 75 पल्ली पूजा समिति ने 50 लोगों के एक समूह को बुलाया और पारिश्रमिक से लेकर नए कपड़े उपलब्ध कराने तक की पूरी जिम्मेदारी ली है. पूरी टीम को उनके प्रदर्शन के लिए 10,000 से 12,000 तक का भुगतान किया जा रहा है.
पैसे को लेकर छऊ कलाकारों ने कहा कि इससे पहले भी हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं होता था. लेकिन तब भी हमलोग दुर्गा पूजा पंडालों में खुशी के लिए नाचते थे पैसे के लिए नहीं. बता दें कि छऊ नर्तक अपनी विरासत पर बहुत गर्व करते हैं और मुख्य रूप से अपनी आजीविका के लिए नृत्य करने पर निर्भर रहते हैं.
पुरुलिया से कुल 50 छऊ कलाकारों को 7-8 दिनों के लिए नृत्य करने, रामायण और महाभारत की कहानियों को अपने नृत्य के जरिए चित्रित करने के लिए काम में लगाया गया है. नृत्य के दौरान कहानी को बेहतर ढंग से बताने के लिए राम और रावण की तस्वीरों को भी स्क्रीन पर दिखाया जा रहा है.
आदिवासियों पर आधारित पंडाल में देवी दुर्गा को आदिवासी रूप में, उनकी पारंपरिक दमोचा साड़ी पहने हुए चित्रित किया गया है. देवी दुर्गा की मूर्ति भी हथियारों से रहित दिखाई देती है और महिषासुर कहीं भी नहीं बनाया गया है.
भवानीपुर 75 पल्ली के सचिव सुबीर दास ने कहा कि पुरुलिया में चोरिदा नामक एक छोटा सा चौ गांव है और हमने इसे यहां दोहराया है और हम यहां छऊ कलाकारों को प्रदर्शन के लिए भी लाए हैं.