जब पीएम मोदी और शरद पवार ने मिलाया हाथ...मंच साझा करने के बाद क्या कुछ बोले NCP चीफ?
प्रधानमंत्री मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस, अजित पवार समेत अन्य नेता शामिल हुए. इस दौरान स्टेज पर पीएम मोदी और शरद पवार ने हाथ मिलाकर कुछ देर हंसते हुए एक दूसरे से बातचीत की. शरद पवार ने पीएम मोदी की पीठ भी थपथपायी.
पीएम को उनके सर्वोच्च नेतृत्व और नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया. लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी. यह पुरस्कार हर साल एक अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है. शरद पवार ने पीएम मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था. शरद पवार की एनसीपी में जुलाई में हुए विभाजन के बाद पीएम मोदी और उनके (शरद पवार) के बीच यह पहली मुलाकात थी. इस कार्यक्रम के बाद शरद पवार ने बयान भी जारी किया.
शरद पवार ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी से कहना चाहता हूं, पुणे शहर का इस देश में एक विशेष महत्व है. छत्रपति शिवाजी महाराज और उनका इतिहास पूरी दुनिया जानती है. शिवाजी महाराजजी का जन्म इसी जिले के शिवनेरी किले में हुआ था और उनका बचपन पुणे शहर के लाल महल में बीता. देश के जवानों ने देश की रक्षा के लिए एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक की. सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा अभी चल रही थी, लेकिन इस देश की पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी के समय में हुई जब शाहिस्तेखान ने लाल महल पर कब्जा करने की कोशिश की. इस महत्वपूर्ण बात को भुलाया नहीं जा सकता. यहां बहुत कुछ कहा जा सकता है, हम लोकमान्य को याद करने आये हैं.
शरद पवार ने कहा कि 1865 में लोकमान्य के पिता गंगाधर रत्नागिरी छोड़कर पुणे आ गये. पुणे में आगमन के बाद ये केवल आगमन नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज की स्थापना के लिए एक प्रकार की चिंगारी, एक मशाल थी. उस काल में दो युग थे, एक तिलक युग और दूसरा महात्मा गांधी का युग. हम यहां उन दोनों के योगदान को कभी नहीं भूल सकते हैं और मुझे यकीन है कि इन दूरदर्शी नेताओं के आदर्श इस देश की नई पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे और इस संदर्भ में तिलक पुरस्कार का एक अनूठा महत्व है. आज हमने और तिलक मेमोरियल ने इस स्मारक के लिए पीएम मोदी को इस पुरस्कार के लिए चुना.
एनसीपी चीफ ने कहा कि इस पुरस्कार से इंदिरा गांधी, खान अब्दुल गफ्फार खान, बाला साहब देवरस, शंकर दयाल शर्मा, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह सहित कई महानुभावों को नवाजा गया है. इन महानुभावों की सूची में आज नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल हुआ. आज हम सभी की ओर से उन्हें यहां दिए गए पुरस्कार के लिए ईमानदारी से बधाई देते हैं. इससे पहले समारोह में अपने संबोधन में शरद पवार ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवाजी महाराज ने कभी किसी की जमीन नहीं छीनी.
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार मिलना सम्मान की बात है. मैंने पुरस्कार राशि नमामि गंगे परियोजना को दान करने का फैसला किया है. मैं ये पुरस्कार देश के 140 करोड़ लोगों को समर्पित करता हूं. उन्होंने कहा कि एक-दूसरे पर भरोसा ही देश को मजबूत बनाएगा. अगर अविश्वास का माहौल है तो विकास असंभव है. पीएम मोदी ने पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.