Navratri 2021: कल से शुरू हो रहे हैं नवरात्र, बंगाल में दुर्गा पूजा की धूम, देखिए तस्वीरें
देश में कल से नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. हर साल शारदीय नवरात्रि का पूजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और नवमी तिथि तक चलता है. इसके बाद विजय दशमी का पर्व मनाया जाता है. नवरात्रि में मां नव दुर्गा के नव रूपों की पूजा की जाती है. इस मौके पर कोलकाता में दूर्गा पूजा की जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं. देखें तस्वीरें.
हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार ने दूसरे साल भी वार्षिक दुर्गा पूजा समारोह रद्द करने का फैसला किया है, जिसमें प्रतिमा विसर्जन से पहले शहर के शीर्ष पंडालों की थीम प्रस्तुति शामिल है.
सरकार ने राज्य के लोगों से कोविड रोधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने का भी आग्रह किया है.
हाल में जारी एक आदेश में राज्य सरकार ने यह भी रेखांकित किया है कि पंडालों के नजदीक कहीं भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं होगी.
सरकार ने यह भी कहा है कि श्रद्धालुओं को आवश्यक रूप से मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना होगा.
इसमें आयोजकों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि पंडाल सभी तरफ से खुले रहें और उनमें पर्याप्त स्थान तथा सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के प्रबंध हों.
आदेश में कहा गया है कि पंडालों में प्रवेश और निकास द्वार अलग-अलग होने चाहिए तथा लोगों को भीड़ न लगाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. अब जानिए किस दिन किस देवी की पूजा की जाती है.
शैलपुत्री : मां नव दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री देवी का है. नवरात्रि के प्रथम दिन इनकी पूजा की जाती है. हिमालयराज की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. ये माता पार्वती का ही एक रूप हैं.
ब्रह्मचारिणी : ब्रह्मचारिणी देवी मां नव दुर्गा का दूसरा रूप है. मां पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. इसी कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. इनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है.
चंद्रघंटा : यह मां नव दुर्गा का तीसरा रूप है और इनकी पूजा तीसरे दिन की जाती है. चूंकि ये भगवान शंकर के मस्तक पर अद्धचंद्र घण्टे के रूप में सुशोभित है. इसी लिए इन्हें चंद्रघण्टा के नाम से जाना जाता है.
कूष्मांडा : नव दुर्गा के चौथे रूप को कुष्मांड़ा देवी कहा जाता है. इनकी पूजा नवरात्रि में चौथे दिन विधि-पूर्वक की जाती है. ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था इस लिए इन्हें कूष्मांडा माता कहते हैं. इन्हें जगत जननी भी कहा जाता है.
स्कंदमाता : नव देवी दुर्गा के 5वें रूप को स्कंदमाता कहते हैं. इन्होंने भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय या स्कंद को जन्म दिया था जिसके कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा. इनकी पूजा पांचवें दिन होती है.
कात्यायनी: यह मां दुर्गा का छठा रूप है. कात्यायनी देवी की पूजा नवरात्रि के 6 वें दिन की जाती है. इनका जन्म कात्यायन ऋषि की साधना और तप से होने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा गया.
कालरात्रि : नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है. कालरात्रि का रूप माता दुर्गा ने दैत्यों के नाश करने और भक्तों को अभय देने के लिए धारणकिया था.
महागौरी : मां दुर्गा का आठवां रूप महागौरी का है.मान्यता है कि अति कठोर तप के कारण इनका वर्ण कला पड़ गया. तब भगवान शिव जी ने गंगा जल छिड़क कर इन्हें पुनः गौर वर्ण प्रदान किया. इसी कारण इन्हें महागौरी का नाम दिया गया.
सिद्धिदात्री : दुर्गा माता का यह नवां रूप है. सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है. इसलिए ही इनका नामा सिद्धिदात्री देवी पड़ा. इनके पूजन कर भक्त सभी प्रकार के सुख, धन वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति करता है.