Fact Check: अकेले मुस्लिमों का फर्टिलिटी रेट हिंदू-सिख-जैन के बराबर? जनसंख्या नियंत्रण से जोड़कर वायरल हो रहा पोस्ट, जानें सच
हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन और बौद्ध धर्म समेत भारत के अलग-अलग समुदायों की प्रजनन दर (Fertility Rate) को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल पोस्ट में दावा किया गया कि देश में सबसे ज्यादा प्रजनन दर मुस्लिमों की है. पोस्ट में आंकड़ों के साथ कहा गया कि देश में क्यों जनसंख्या नियंत्रण कानून जल्द से जल्द लाने की जरूरत है.
वायरल पोस्ट में मुस्लिमों की प्रजनन दर 4.4 बताई गई है, जबकि हिंदुओं की 1.94, सिखों की 1.61, ईसाई की 1.88, जैन समुदाय की 1.6 और बौद्ध समुदाय की 1.39 बताई गई है. इसके अनुसार अकेले मुसलमानों का फर्टिलिटी रेट हिंदू, सिख और जैन की कुल प्रजनन दर के लगभग बराबर है.
दोनों रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि बाकी धर्मों के साथ मुस्लिमों के फर्टिलिटी रेट में भी गिरावट आई, लेकिन वायरल पोस्ट में मुसलमानों का आंकड़ा पहली रिपोर्ट (1992-93) से लिया गया, जबकि बाकी धर्मों के लिए पांचवीं रिपोर्ट (2019-2021) के आंकड़े का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि, मुस्लिमों का फर्टिलिटी रेट देश में सबसे ज्यादा है, लेकिन 1992 और 2019 के आंकड़ों को देखें तो प्रजनन दर में काफी गिरावट आई है.
एनएफएचएस की पांचवीं यानी 2019-2021 की रिपोर्ट और पहली यानी 1992-1993 की रिपोर्ट के आंकड़ों को मिक्स किया गया है. वायरल पोस्ट में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध धर्म के आंकड़े तो सही हैं, लेकिन मुस्लिमों के आंकड़े पुराने हैं.
मुस्लिमों को छोड़कर बाकी सभी धर्मों की प्रजनन दर के आंकड़े 2019-2021 की रिपोर्ट से लिए गए हैं, जबकि मुस्लिमों के लिए 1992-1993 की रिपोर्ट के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है.
1992-1993 की रिपोर्ट में हिंदुओं की प्रजनन दर 3.3, मुस्लिमों की 4.4, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध धर्म का फर्टिलिटी रेट 3 से कम है. वहीं, 2019-2021 की रिपोर्ट में हिंदुओं का 1.94, मुस्लिमों का 2.36, सिखों का 1.61, ईसाई का 1.88, जैन समुदाय का 1.6 और बौद्ध समुदाय का फर्टिलिटी रेट 1.39 है.
दोनों रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि बाकी धर्मों के साथ मुस्लिमों के फर्टिलिटी रेट में भी गिरावट आई, लेकिन वायरल पोस्ट में मुसलमानों का आंकड़ा पहली रिपोर्ट (1992-93) से लिया गया, जबकि बाकी धर्मों के लिए पांचवीं रिपोर्ट (2019-2021) के आंकड़े का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि, मुस्लिमों का फर्टिलिटी रेट देश में सबसे ज्यादा है, लेकिन 1992 और 2019 के आंकड़ों को देखें तो प्रजनन दर में काफी गिरावट आई है.