बालों के दान से लेकर दही चावल के प्रसाद तक, तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े 6 रोचक तथ्य!
देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं, जो आस्था के साथ गहरे रहस्यों को भी अपने आप में समेटे हुए हैं, लेकिन तिरुमाला का तिरुपति बालाजी मंदिर अपने आप में काफी खास है. यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र होने के साथ कई रहस्यों से भरा हुआ है. आज के इस लेख में हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े इन्हीं रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं.
दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है तिरुपति बालाजी का मंदिर, जहां भगवान विष्णु के अवतार श्रीवेंकटेश्वर स्वामी की पूजा की जाती है. मान्यताओं के मुताबिक कलयुग में भगवान विष्णु का यही निजी निवास माना जाता है, इस वजह से मंदिर में मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. तिरुपति बालाजी को प्रसाद के रूप में लड्डू को भोग लगाया जाता है, लेकिन लड्डू के अलावा उन्हें दही-चावल खिलाने की भी पंरपरा रही है. सबसे पहले उन्हें दही-चावल का ही भोग लगाया जाता है.
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों का दान करने की भी पंरपरा है. मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु ने कुबेर महाराज से ऋण लिया था और वचन दिया था कि, जब तक कलयुग खत्म होगा, तब तक पूरा ऋण चुका दिया जाएगा. उसी ऋण को चुकाने के लिए भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर बालों का दान करते हैं. भक्त द्वारा बाल का दान ऋण की किस्त के तौर पर देखा जाता है.
तिरुपति बालाजी मंदिर की प्रतिमा भव्य होने के साथ काफी खास है. माना जाता है कि, प्रतिमा के पीछे से हमेशा समुद्र की लहरों की आवाज आती है, जिन भी भक्तों ने कान लगाकर इन आवाजों को सुनने की कोशिश करी है, उन्हें समुद्र के लहरों की आवाज सुनाई दी है. प्रतिमा को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों का ही रूप माना जाता है, इस वजह बालाजी को स्त्री और पुरुष दोनों के ही कपड़े पहनाए जाते हैं.
तिरुपति बालाजी मंदिर के अंदर स्थापित प्रतिमा पर असली बाल लगे हैं, जो कभी भी उलझते या बिगड़ते नहीं हैं. बाल हमेशा काले और चमकदार रहते हैं. बालों के अलावा गर्मियों के दिन में श्री वेंकटेश्वर स्वामी की प्रतिमा से पसीना भी आता है.
मंदिर में हमेशा एक दिया जलता ही रहता है, जिसमें कभी भी घी या तेल नहीं डाला जाता है, लेकिन इसके बाद भी दिया निरंतर जलता रहता है. ये दीया सभी के लिए रहस्य का केंद्र बना हुआ है.