Janmashtami 2022: गीता के ये 5 श्लोक तमाम मुश्किलों का है समाधान, जन्माष्टमी पर जरूर पढ़ें
गीता का ये श्लोक अंधेरे के बीच एक उम्मीद की रोशनी की तरह है. ये श्लोक निराशा को दूर करते है. जब धर्म की हानि होती है, तब मैं(श्रीकृष्ण) आता हूं. जब अधर्म बढ़ता है तब मैं साकार रूप से लोगों के प्रकट होता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा और दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, युग-युग में जन्म लेता हूं.
गुस्सा मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है. क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि का नाश हो जाता है. व्यक्ति सही गलत की पहचान नहीं कर पाता. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है. क्रोध सफलता के मार्ग में सबसे बड़ा रोड़ा है, इसलिए अपने गुस्से पर काबू करना सीखें.
कर्म कर फल की इच्छा मत करो. श्रीकृष्ण बताते हैं कि व्यक्ति का अपने कर्म पर अधिकार है फल पर नहीं. अपने कर्मों के फल का कारण कभी भी स्वयं को न समझें, और न ही अपने कर्तव्य को न करने में कभी आसक्त न हों.
कृष्ण कहते हैं कि जिनका विश्वास गहरा है और जिन्होंने अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने का कोशिश की है, वो दिव्य ज्ञान प्राप्त करते हैं. ज्ञान के माध्यम से उन्हें मानसिक शांति मिलती है.
मनुष्य को अपने मन पर नियंत्रण करना आना चाहिए, किसी चीज को पाने चाहत में अगर वो सदा सोचता रहेगा तो मानव मन में उसके प्रति लगाव पैदा होगा. उसे हालिस करने की इच्छा जन्म लेगी, और जब इन इच्छाओं की वो पूर्ति नहीं कर पाएगा तो क्रोध की उत्पत्ति होगी. क्रोध मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है.