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Ganga Sagar Mela 2022: मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान का है विशेष महत्व, जानें इसका धार्मिक महत्व

ABP Live   |  10 Jan 2022 08:18 PM (IST)
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हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान-दान का विशेष महत्व है. पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के मौके पर बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. आइए जानते हैं इस गंगा सागर मेले का धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व.

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गंगा सागर की तीर्थ यात्रा को लेकर प्रचलित है कि 'सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार.' इसके पीछे की मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को सभी तीर्थों की यात्रा से जो पुण्यफल प्राप्त होता है, वह सिर्फ गंगा सागर की तीर्थयात्रा में एक बार में ही प्राप्त हो जाता है.

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बता दें कि गंगासागर मेला (Ganga Sagar Mela 2022) पश्चिम बंगाल में कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर लगता है. ये उसी जगह पर लगता है जहां गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है. जहां गंगा और सागर का मिलन होता है उसे गंगा सागर कहा जाता है.

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ये मेला 08 जनवरी से शुरू होकर 16 जनवरी तक चलता है. मकर संक्रांति के दिन यहां पर लाखों की संख्या में लोग स्नान के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि इस शुभ दिन यहां स्नान करने पर 100 अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य फल प्राप्त होता है.

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यहां पर मकर संक्रांति के दिन स्नान के पुण्यफल की एक पौराणिक कथा प्रचलित है. मान्यता है कि गंगा शिव की जटा से निकलकर पृथ्वी पर बहते हुए ऋषि कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची थी, वह मकर संक्रांति का ही दिन था.

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गंगा सागर में कपिल मुनि का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. कपिल मुनि के समय राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ ​करके यज्ञ के अश्वों को स्वतंत्र छोड़ दिया. इसे लेकर मान्यता थी कि ये अश्व जिस राज्य से भी जाते, वहां के राजा या व्यक्ति को राजा की अधीनता स्वीकार करनी पड़ती. इतना ही नहीं, उस अश्व की रक्षा के लिए राजा सगर ने अपने 60 हजार पुत्रों को भी भेजा दिया था.

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एक दिन अश्व के अचानक गायब हो जाने से सब चिंतित हो गए. जो कि बाद में कपिल मुनि के आश्रम में जाकर मिला. राजा के पुत्रों ने यहां जाकर कपिल मुनि को अपशब्द कह दिए. जिससे नाराज होकर कपिल मुनि ने अपने नेत्रों के तेज से उन सभी 60 हजार पुत्रों को भस्म कर दिया.

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कपिल मुनि के श्राप से जब उन्हें कई वर्षों तक मुक्ति नहीं मिली तो राजा सगर के पौत्र भगीरथ ने कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे, और वहां जाकर उनसे माफी मांगी. और अपने पुरखों की मुक्ति का उपाय पूछा. उस समय कपिल मुनि ने उन्हें गंगा जल से मुक्ति पाने का उपाय बताया. कपिल मुनि के बताए अनुसार राजा भगीरथ कठिन तप करके गंगा को पृथ्वी पर लाए. 8. गंगा सागर में स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन श्रद्धालु समुद्र देवता को नारियल और यज्ञोपवीत भेंट करते हैं. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन यहां स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और श्रद्धालु को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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गंगा सागर में स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन श्रद्धालु समुद्र देवता को नारियल और यज्ञोपवीत भेंट करते हैं. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन यहां स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और श्रद्धालु को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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