Mysterious Temples In India: भारत के 5 रहस्यमयी मंदिर, जिनका प्रसाद छूना या घर लाना माना जाता है अपशकुन!
भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, क्योंकि यहां हर राज्य, हर शहर और यहां तक कि छोटे-छोटे गांवों में भी कोई न कोई प्राचीन या रहस्यमयी मंदिर मिल ही जाता है. हर मंदिर की अपनी एक अलग परंपरा और मान्यता होती है. लोग मंदिरों में भगवान के दर्शन करने, पूजा अर्चना करने और प्रसाद ग्रहण करने आते हैं. हिंदू धर्म में मंदिर में दिया गया प्रसाद बहुत शुभ माना जाता है. यह केवल भोजन नहीं, बल्कि ईश्वरीय आशीर्वाद का भी प्रतीक होता है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां का प्रसाद छूना या खाना वर्जित माना गया है? यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन इन मंदिरों में ऐसी मान्यताएं सदियों से चली आ रही हैं. मनुष्य द्वारा उनका सेवन करना अशुभ प्रभाव डाल सकता है.
कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर में एक करोड़ शिवलिंग स्थापित हैं. यहां पूजा के बाद जो प्रसाद दिया जाता है, उसे केवल प्रतीकात्मक रूप से स्वीकार किया जाता है. भक्तों को इसे घर ले जाने या खाने की अनुमति नहीं होती. विशेष रूप से शिवलिंग के ऊपर से आया यह प्रसाद चंडेश्वर को समर्पित माना जाता है, जिसे मनुष्य द्वारा ग्रहण करना अपशकुन होता है.
हिमाचल प्रदेश का नैना देवी मंदिर, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है, यहां प्रसाद को लेकर भी खास नियम हैं. माता नैना देवी को चढ़ाया गया प्रसाद केवल मंदिर परिसर में ही ग्रहण किया जा सकता है. मान्यता है कि अगर कोई भक्त इस प्रसाद को घर ले जाता है, तो यह परिवार पर अशुभ प्रभाव ला सकता है, इसलिए प्रसाद वहीं खाना चाहिए.
उज्जैन का काल भैरव मंदिर भी अपनी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. यहां भगवान भैरव को शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जो पूरे भारत में अद्वितीय है. इस प्रसाद को न तो कोई भक्त छू सकता है और न ही घर ले जा सकता है, क्योंकि यह केवल भैरव देव के लिए ही अर्पित होता है.
वहीं असम का कामाख्या देवी मंदिर और राजस्थान का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भी अपनी रहस्यमयी परंपराओं के लिए जाने जाते हैं. कामाख्या मंदिर में देवी के मासिक धर्म के दिनों में प्रसाद ग्रहण करना पूरी तरह निषिद्ध होता है, जबकि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रसाद को केवल भगवान को अर्पित किया जाता है. भक्तों को उसे खाने या घर ले जाने की मनाही है.