Toxic Air Health Impact: दिल्ली के 500 एक्यूआई में कौन-सा मास्क कामयाब और कौन-सा नहीं? जानें काम की बात
डॉक्टरों का कहना है कि इतनी खराब हवा में कुछ ही मिनट रहने से सीने में जकड़न, आंखों में जलन, सिरदर्द और सांस फूलने जैसी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं. जब एक्यूआई लंबे समय तक 500 से ऊपर बना रहता है, तो शरीर की इम्यून सिस्टम भी कमजोर पड़ने लगती है.
ऐसे हालात में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मास्क सच में सुरक्षा दे पाते हैं? एक्सपर्ट्स साफ कहते हैं कि हर मास्क एक जैसा असरदार नहीं होता. कपड़े से बने मास्क या सामान्य सर्जिकल मास्क इस स्तर के प्रदूषण में बहुत सीमित सुरक्षा ही दे पाते हैं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एक्यूआई 500 से ऊपर होने पर हवा में मौजूद पीएम2.5 कण कुछ ही घंटों में सांस के जरिए लंग्स तक पहुंच जाते हैं. ये महीन कण शरीर में तेज इम्यून रिएक्शन पैदा करते हैं और खून में मिलकर दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ा सकते हैं.
ऐसे में N95 और N99 मास्क बाकी की तुलना में ज्यादा असरदार माने जाते हैं, क्योंकि ये बारीक कणों को फिल्टर करने के लिए डिजाइन किए गए होते हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स यह भी चेतावनी देते हैं कि ये मास्क भी 100 फीसदी सुरक्षा नहीं देते, बल्कि जोखिम को कुछ हद तक कम करते हैं.
बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग इस जहरीली हवा से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. बच्चों में फेफड़ों और दिमाग का विकास प्रभावित हो सकता है, गर्भवती महिलाओं में समय से पहले डिलीवरी का खतरा रहता है, जबकि बुजुर्गों में हार्ट और लंग डिजीज बढ़ने की आशंका रहती है.
एक्सपर्ट्स की सलाह है कि एक्यूआई 500 से ऊपर होने पर सिर्फ मास्क पर निर्भर रहना काफी नहीं है. घर के अंदर रहना, बाहर की गतिविधियां सीमित करना, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना और खिड़की-दरवाजे बंद रखना ज्यादा सुरक्षित उपाय माने जाते हैं.