अब आवाज से ही लग जाएगा कैंसर का पता, वैज्ञानिकों ने खोज निकाली नई तकनीक
इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि अगर किसी व्यक्ति के गले में लैरिंजियल कैंसर (Laryngeal Cancer) है, तो उसकी आवाज के टोन, पिच और वाइब्रेशन में खास बदलाव आते हैं. इंसान को खुद यह बदलाव शायद महसूस न हों, लेकिन मशीन लर्निंग और AI से लैस यह सिस्टम इन बदलावों को पहचान सकता है.
इस टेक्नोलॉजी में व्यक्ति की आवाज को रिकॉर्ड करके उसका एनालिसिस किया जाता है. इसमें आवाज की क्वालिटी, टोन और उसमें आने वाली हल्की-सी कंपन (voice modulation) तक को मापा जाता है.
मापने के बाद इसे AI मॉडल में डालकर यह चेक किया जाता है कि यह पैटर्न कैंसर के शुरुआती लक्षणों से मैच कर रहा है या नहीं.
लैरिंजियल कैंसर अक्सर देर से पकड़ा जाता है, क्योंकि शुरुआती लक्षण जैसे हल्की खराश, आवाज में बदलाव या बोलते समय हल्का दर्द होता है, जिसको लोग आम सर्दी-जुकाम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं.
जब तक मरीज डॉक्टर के पास पहुंचता है, तब तक बीमारी बढ़ चुकी होती है. लेकिन अगर शुरुआत में ही पता चल जाए, तो इलाज आसान और ज्यादा सफल हो जाता है.
यह स्टडी अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में की गई है. वैज्ञानिकों ने लैरिंजियल कैंसर के मरीजों और स्वस्थ लोगों की आवाज का डेटा इकट्ठा किया और पाया कि कैंसर मरीजों में आवाज के कुछ गुणों में एक जैसा बदलाव देखने को मिलता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक सिर्फ गले के कैंसर तक सीमित नहीं रहेगी. आगे चलकर इसे पार्किंसन, वोकल कॉर्ड डिसऑर्डर, और अन्य वॉयस-रिलेटेड हेल्थ प्रॉब्लम्स में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.